आज चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन है आज का दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित है। देवी पुराण के अनुसार, मां दुर्गा का यह स्वरूप शांतिदायक कल्याणकारी माना जाता है। इनके माथे पर घंटे के आकार का आधा चांद है, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। जो व्यक्ति इनकी उपासना करता है, उसे सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में मां चंद्रघंटा की पूजा करने के विधि के बारे में बताएंगे, साथ ही इस दिन किस मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है। मां चंद्रघंटा की आरती क्या है।

जानें क्या है पूजा विधि
इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद मां का ध्यान करें पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़के, इसके बाद मां का ध्यान करते हुए पांच घी का दीपक जलाएं। उसके बाद मां को सफेद कमल या फिर पीले गुलाब का फूल चढ़ाएं। मां दुर्गा को रोली चढ़ाएं, सुबह-शाम उनकी आरती करें। आरती करने के दौरान शंख घंटा बजाएं। इससे नकारात्मकता दूर हो जाती है। उनके भोग में केसर की खीर, दूध से बनी मिठाई बनाएं। मां को भोग लगाकर पूजा संपन्न करें।
इस दिन करें इस मंत्र का जाप
पिंडजप्रवरारूढ़ा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।
अर्थात् श्रेष्ठ सिंह पर सवार चंडकादि अस्त्र शस्त्र से युक्त मां चंद्रघंटा मुझ पर अपनी कृपा करें।
वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्।
सिंहारूढा चंद्रघंटा यशस्वनीम्॥
मणिपुर स्थितां तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
रंग, गदा, त्रिशूल,चापचर,पदम् कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥
मां चंद्रघंटा की करें आरती
नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करने के बाद मां की आरती करें। इससे आपके सभी दुख दूर हो जाएंगे।
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम।
पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।
चंद्र समान तुम शीतल दाती।
चंद्र तेज किरणों में समाती।
क्रोध को शांत करने वाली।
मीठे बोल सिखाने वाली।
मन की मालक मन भाती हो।
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।
सुंदर भाव को लाने वाली।
हर संकट मे बचाने वाली।
हर बुधवार जो तुझे ध्याये।
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं।
सन्मुख घी की ज्योत जलाएं।
शीश झुका कहे मन की बाता।
पूर्ण आस करो जगदाता।
कांची पुर स्थान तुम्हारा।
करनाटिका में मान तुम्हारा।
नाम तेरा रटू महारानी।
भक्त की रक्षा करो भवानी।