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मनमत विकारों से निकालकर गुरमत से जोडती है सिख रहत मर्यादा: भगवान सिंह

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हरविंदर जमशेदपुरी ने सिख रहत मर्यादा की 1000 प्रतियां सीजीपीसी को सौंपी

गुरुघरों में मर्यादा लागू होने से सिखों में वहम-भरम और कर्मकांडो से निश्चित मुक्ति मिलेगी: जमशेदपुरी

जमशेदपुर के सिख प्रचारक हरविंदर सिंह जमशेदपुरी ने सीजीपीसी के अध्यक्ष सरदार भगवान सिंह को सिख रहत-मर्यादा की 1000 प्रतियां सौंप कर जमशेदपुर में सिखों की सर्वोच्च संस्था से अपील की है कि रहत मर्यादा को सभी गुरद्वारों में यथाशीघ्र लागू करवाने की कवायद शुरू की जाये।
गुरुवार को सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी के कार्यालय में गुरनाम सिंह बेदी, गुरपाल सिंह टिंकु, जगजीत सिंह विंकल, सुखविंदर सिंह राजू, पलविंदर सिंह एवं तरनप्रीत सिंह बन्नी की उपस्थिति में हरविंदर सिंह जमशेदपुरी ने सरदार भगवान सिंह को सिख रहत मर्यादा की प्रतियां भेंट की।

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इस अवसर पर अपने विचार प्रकट करते हुए भगवान सिंह ने कहा कि सिख एक अलग कौम है और कौम की अपनी अलग परम्पराएं हैं इसलिए हर सिख का कर्तव्य होना चाहिए की रहत मर्यादा में लिखे हर एक शब्द का वो अक्षरः पालन करे। सिख रहत मर्यादा इंसान को मनमत विकारों के निकालकर गुरमत से जोड़ने का काम करती है। उन्होने कहा की सिख सिद्धांतों में जन्म से लेकर मृत्यु तक करने वाले कार्यों में फ़र्क साफ़ समझ आ जायेगा। बच्चों के जन्म संस्कार से लेकर मृतक संस्कार में एक सिख को क्या-क्या करना चाहिये रहत मर्यादा में साफ़ दर्शाया गया है।
हरविंदर ने कहा गुरुघरों में मर्यादा लागू होने से सिखों में वहम-भरम और कर्मकांडो से निश्चित मुक्ति मिलेगी और समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलेगा। जमशेदपुरी ने कहा की सिख रहत मर्यादा में सबसे पहले सिख की तारीफ़ का ज़िक्र है और बताया गया है कि आखिर एक सिख की परिभाषा क्या है। इसे पढ़ने के बाद हर सिख का जीवन में बदलाव आना निश्चित है बशर्ते इसे लागू किया जाये।