एक नई सोच, एक नई धारा

“…पर यहाँ मैं फिसल गया” क्या हो पाएंगे अब स्वास्थ्य मंत्री स्वस्थ ?

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झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के प्रेमालाप वीडियो प्रकरण मामले और जमशेदपुर की गरमाई राजनीति को लेकर पढ़िये “गौरव हिन्दुस्तानी” की लेख

झारखंड की लौह नगरी जमशेदपुर के पश्चिम सिंहभूम के विधायक और झारखण्ड राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता का प्रेमालाप चलचित्र क्या प्रकाश में आया जमशेदपुर की राजनीति ने फिर एक करवट बदल ली। कदमा मामले में मौन बाबा बने पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास जेल में बंद नेताओं से मिलने चले गए और गए तो गए वहाँ से तत्काल डीजीपी को फोन करके मामले की जांच करने का आग्रह भी किया और प्रशासन में मानो स्टिंग एनर्जी के ऐड जैसी फुर्तीलापन आ गया, अगले दिन कोल्हान डीआईजी पहुंचने की खबर आ गयी। अब सोचने वाली बात यह है कि पिछले पंद्रह दिनों से जब सारे लोग गला फाड़ फाड़ कर बोल रहे थे तो प्रशासन ने यह पहल क्यों नहीं की और “मौनी बाबा” भी अचानक से कैसे जाग गए ? इस पर भी दो सवाल खड़े होते हैं, पहला यह कि क्या बन्ना गुप्ता के ऊपर अचानक से गिरी इस बिजली ने रघुवर दास के अंदरूनी याराना के तहत तय किसी सांठ गांठ को तो नहीं हिला दी ? और दूसरा यह कि सर्वजन हिन्दू समिति 25 तारीख से चरणबद्ध तरीके से विरोध और हड़ताल करने की बात कह रही थी और इससे अपनी जमीन खिसकती देख यह रणनीति बनाकर सर्वजन हिन्दू समिति के मुहिम को कमजोर करने की तैयारी तो नहीं कि गयी है ?

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इन सब मामले में “अस्वस्थ” मंत्री बन्ना गुप्ता भी चर्चा में थे लेकिन इस प्रेमालाप चलचित्र मामले ने तो उन्हें और भी ख्याति प्रदान कर दी। वैसे मंत्री जी ने इसे फेक और एडिटेड बता कर एफआईआर दर्ज कराई है लेकिन सवाल यह उठता है कि एफआईआर दर्ज़ किसके ऊपर की जाएगी, व्हाट्सएप पर भेजने शेयर करने वाले भाजपा नेता विकास सिंह पर या ट्विटर पर शेयर करने वाले भाजपा सांसद निशिकांत दुबे पर ? अब जिसके भी नाम पर मंत्री एफआईआर करे यह उनके अपने विवेक और कानून के दिशा निर्देश पर होगा, लेकिन एक प्रश्न यह भी है कि आखिर भाजपा नेताओं के पास यह वीडियो पहुंचा कैसे ? यदि अपनी सलाह दूं तो मंत्री जी उस सूत्रधार का पता करें और उस पर एफआईआर करें जहाँ से इस चलचित्र ने चलना शुरू किया। अब मंत्री जी इस बाबत सोशल मीडिया में पोस्ट करने वाले हर किसी वे ऊपर तो केस नहीं कर सकते न। वैसे मंत्री जी के समर्थक लगभग हर पोस्ट में एफआईआर की धौंस दिखाते घूम रहे हैं सोशल मीडिया में, जरा इन्हें भी समझना चाहिए कि बिना आग के धुआँ कैसे उठेगा और धुआँ उठेगा तो राजनीति गलियारे में चर्चा गर्म रहेगी ही। वैसे वो भी क्या करे, बेचारे मजबूर है अपना समर्थक धर्म निभाने के लिए और ऐसा लगता है कि इस मामले को यदि और ज्यादा हवा लगी तो समर्थक अपना धर्म निभाने के चक्कर में कहीं यह न कह दे कि “अस्वस्थ्य मंत्री” वर्चुअल तरीके से फिज़िकल चेकअप कर रहें थे कि “आंत बड़ा हो गया, गुर्दा बड़ा हो गया या फेफड़ा।”

वहीं दूसरी तरफ पूर्वी सिंहभूम के विधायक सरयू राय ने जिस तरह से इस प्रकरण से जुड़ी हर वो बात जो किसी मीडिया वाले को भी नहीं मालूम उसका खुलासा करके यह तो साबित कर दिए कि आखिर वो विधायक जरूर बन गए हैं लेकिन उनके अंदर का पत्रकार अब भी जीवित है और यही वजह है कि वो अकेले इस मामले में खुलकर मोर्चा संभाले हुए हैं। खबर तो यहाँ तक आई कि 21 सेकेंड का वीडियो मात्र ट्रेलर था पिक्चर 3 मिनट का है, अब देखना यह है कि “अस्वस्थ मंत्री” चलचित्र को गलत साबित करके खुद को स्वस्थ बताएंगे या विपक्ष पूरी पिक्चर रिलीज़ करके इन्हें पूर्ण रूप से अस्वस्थ साबित करेगी।
वैसे इस पूरे प्रकरण को देखते हुए और राजनीति में उभरते समय के बन्ना गुप्ता को याद करने से स्टैंडअप कॉमेडियन ज़ाकिर खान की बहुप्रचलित पंक्ति “वैसे तो मैं बड़ा सख्त लौंडा हूँ, पर यहाँ मैं फिसल गया” बेहद सटीक बैठती है। अब आगे देखना है कि यह मामला राजनीतिक गलियारे में क्या उठा पटक करती है।