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विकास पुरूष के 5 साल सीएम रहते मालिकाना हक का मामला क्यों नहीं सुलझा : शिव शंकर सिंह

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जमशेदपुर : विधानसभा चुनाव में पहले चरण के चुनाव प्रचार के अंतिम दिन सोमवार को समय सीमा खत्म होने के ठीक पहले जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार शिव शंकर सिंह ने अपनी ताकत दिखाई और एग्रीको ट्रांसपोर्ट मैदान से लेकर बारीडीह हरि मैदान तक का लंबा रोड शो किया जिसमें हजारों की संख्या में समर्थक और कार्यकर्ता शामिल हुए. महारैली के बाद आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने अपनी जीत का दावा करते हुए कहा कि जमशेदपुर पूर्वी की जनता, सामाजिक संगठनों, कार्यकर्ताओं व अन्य लोगों से मिले अपार जनसमर्थन से यदि उनके माथे जीत का सेहरा सजता है तो यह कार्यकर्ताओं की, मतदाताओं की और एक-एक जनता की जीत होगी, जो जमशेदपुर पूर्वी में बदलाव चाहते हैं.

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प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान मिले भारी समर्थन को लेकर सभी का आभार जताते हुए कहा कि पूरे 81 विधानसभा क्षेत्रों में जमशेदपुर पूर्वी एक मात्र ऐसी विधानसभा रही जहां एक निर्दलीय को चुनाव हराने के लिए दोनों राष्ट्रीय दलों ने अपने शीर्ष नेता तक को यानी सभी स्टार प्रचारकों को उतार दिया. जबकि मेरे लिए यहां के मतदाता, कार्यकर्ता और जनता ही स्टार प्रचारक रहे. जनता न तो बड़े घर की बहू को चुनना चाहती है जिसके पास पहुंचना मुश्किल होगा और न ही टूरिस्ट नेता चाहती है जो अपने सांसद काल में 100 दिन भी जमशेदपुर में नहीं रहे. उन्हें अपने बीच में रहने वाले और 24 घंटे सदैव उनके साथ रहने वाला व्यक्ति चाहिए. वोटरों के अंदर का गुस्सा और उबाल इस बार ऐसा है कि उन्होंने मन बना लिया है कि 23 नवंबर को फिर से नया इतिहास रचते हुए दोनों बड़े दलों को परास्त करते हुए निर्दलीय को जीत दिलाएंगे.

विकास पुरूष नहीं खुलवा सके केबल कंपनी

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शिव शंकर सिंह प्रेस कांफ्रेस के दौरान पूर्व सीएम रघुवर दास के खिलाफ जमकर हमलावर दिखे. बिना नाम लिए केवल विकास पुरूष का संबोधन कर उन्होंने सवालों की झड़ी लगाते हुए पूछा कि क्या केवल सड़क और नाली बनवा देना ही विकास पुरूष की निशानी है. जमशेदपुर पूर्वी के विधायक बनने से लेकर राज्य के सीएम रहने तक के 25 सालों में आखिर उन्होंने क्यों नहीं 86 बस्तियों के मालिकाना हक का मामला सुलझाया जबकि उनके नेतृत्व में राज्य में बहुमत की सरकार थी. उन्होंने इस दिशा में पहल क्यों की. जमशेदपुर के 10 हजार से अधिक परिवारों की जरूरत पूरी करने व रोजगार देने वाले केबल कंपनी को खुलवाने की पहल आखिर उन्होंने क्यों नहीं की. अपने 25 साल में उन्होंने यहां के कितने युवाओं को रोजगार दिलाने की या नए रोजगार के अवसर पैदा करने की पहल की. टाटा मोटर्स में अस्थायी लोगों को स्थायी कराने की दिशा में उन्होंने क्या पहल की ?

86 बस्तियों में बुनियादी सुविधाओं के अभाव की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि सीएम रहते इन बस्तियों में पानी और बिजली के लिए लोग मोहताज क्यों बने हुए हैं, युवा रोजगार की तलाश छोड़ क्यों नशे की गिरफ्त में जा रहे हैं, एमजीएम की स्थिति क्यों खराब है, कितने लोग अपने इलाज के लिए टीएमएच अस्पताल जाने की क्षमता रखते हैं. विकास के नाम पर केवल झूठ लोगों के सामने परोसा गया. उन्होंने दावा किया कि चुनाव प्रचार में राष्ट्रीय पार्टी की ओर से जमकर पैसा पानी की तरह बहाया गया ताकि एक निर्दलीय को चुनाव में हराया जा सके लेकिन फिर भी उनका यह मंसूबा पूरा नहीं होगा क्योंकि यहां की जनता नए विकल्प को अपनाते हुए अपना मन बना चुकी है.