लोकसभा में दो दिन तक चली लंबी बहस के बाद महिला आरक्षण विधेयक पर मुहर लग गई है. दो तिहाई बहुमत से इस बिल को पारित कर दिया गया है. विधेयक के पक्ष में 454 वोट पड़े, जबकि इसके विरोध में 2 मत पड़े.
लोकसभा और राज्यसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने वाले नारी-शक्ति वंदन अधिनियम को लोकसभा में ज्यादातर दलों का समर्थन मिला. इससे पहले दिन में हुई चर्चा में विपक्षी दलों ने विधेयक में ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रावधान करने और बिना परिसीमन के ही कानून लागू करने की मांग की. कांग्रेस पार्टी ने विधेयक को राजीव गांधी का सपना बताया तो टीएमसी ने ममता बनर्जी को विधेयक की जननी करार दिया. सभी विपक्षी दलों ने विधेयक का स्वागत भी किया. (जारी…)

वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा से विधेयक पास होने के बाद ट्वीट किया कि इस अभूतपूर्व समर्थन के साथ लोकसभा में संविधान (128वां संशोधन) विधेयक 2023 पारित होने पर खुशी हुई, मैं सभी पार्टियों के सांसदों को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने इस विधेयक के समर्थन में मतदान किया. (जारी…)

वहीं, महिला आरक्षण कानून तुरंत लागू नहीं करने के आरोप पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संवैधानिक प्रावधानों का हवाला देते हुए सभी दलों से महिला आरक्षण बिल के समर्थन की अपील की. अमित शाह ने कहा कि बिना जनगणना और परिसीमन के किसी सीट को रिज़र्व करना संभव नहीं है. अमित शाह ने संकेत दिए कि प्रक्रिया पूरी होने में इतना समय लगेगा कि कानून 2029 से पहले लागू नहीं हो पाएगा. (जारी…)

महिला आरक्षण बिल पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने केंद्र सरकार के सचिव पद पर तैनात अफसरों में अन्य पिछड़ा वर्ग के अफसरों की तैनाती नहीं होने का सवाल उठाया. राहुल गांधी के आरोपों का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि बीजेपी के 85 सांसद ओबीसी, प्रधान मंत्री ओबीसी, 29 केंद्रीय मंत्री ओबीसी और देश भर की विधानसभाओं में करीब 27 प्रतिशत से अधिक बीजेपी विधायक भी ओबीसी समुदाय के हैं.

उधर, महिला आरक्षण बिल पर चर्चा के दौरान AIMIM ने मुस्लिम महिलाओं के लिए आरक्षण की मांग की. बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती ने कहा कि महिला आरक्षण कानून में एससी-एसटी वर्ग की महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण में अलग से कोटा दिया जाए.