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झारखंड के 25 वर्षों के सफर पर निबंध लिखें और जीतें ₹11 हजार तक के आकर्षक पुरस्कार

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झारखंड राज्य अपनी स्थापना की रजत जयंती मना रहा है और इस ऐतिहासिक अवसर को चिह्नित करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के रांची कार्यालय ने राज्य स्तरीय निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया है।

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यह प्रतियोगिता राज्य के सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के लिए है। उद्देश्य झारखंड की स्थापना और उसके 25 वर्षों के सफर पर युवा पीढ़ी के विचारों को एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करना है। आरबीआई ने इस संबंध में विस्तृत सूचना झारखंड सरकार के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग को पत्र के माध्यम से प्रेषित की है। प्रतियोगिता के लिए ‘राज्य के रूप में झारखंड के पच्चीस वर्ष’ विषय निर्धारित किया गया है।

प्रतिभागियों को इस विषय पर लगभग 2500 शब्दों में, केवल हिंदी भाषा में ही अपना निबंध प्रस्तुत करना होगा। प्रविष्टियां जमा करने की अंतिम तिथि इच्छुक प्रतिभागी अपना निबंध निर्धारित प्रारूप में तैयार कर, उसे एक पीडीएफ फाइल के रूप में finaware@rbi.org.in पर ई-मेल के माध्यम से भेज सकते हैं। निबंध जमा करने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर तय की गई है। भारतीय रिजर्व बैंक ने स्पष्ट कर दिया है कि अंतिम तिथि के उपरांत प्राप्त होने वाली किसी भी प्रविष्टि पर विचार नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही, आरबीआई ने यह भी निर्देश दिया है कि जमा किया गया निबंध प्रतिभागी का मौलिक कार्य होना चाहिए। किसी भी प्रकाशित स्रोत से नकल या सामग्री का संकलन पूर्णतः अस्वीकार्य होगा। आकर्षण पुरस्कारों की व्यवस्था प्रतियोगिता में चयनित मेधावी प्रतिभागियों को आकर्षक पुरस्कारों से सम्मानित किया जाएगा। इसमें प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार के अतिरिक्त, दो सांत्वना पुरस्कार भी शामिल हैं। प्रथम पुरस्कार विजेता को ₹11 हजार, द्वितीय पुरस्कार विजेता को ₹सात हजार और तृतीय पुरस्कार विजेता को चार हजार रुपये प्रदान किए जाएंगे। वहीं, दोनों सांत्वना पुरस्कार विजेताओं को प्रत्येक को ₹2,000 रुपये दिए जाएंगे। भारतीय रिजर्व बैंक ने राज्य के सभी जिलों के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों से आग्रह किया है कि वे इस महत्वपूर्ण पहल में छात्र-छात्राओं की अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए उन्हें प्रेरित करें। इस प्रयास का लक्ष्य युवा छात्रों में झारखंड के सामाजिक, आर्थिक और विकासात्मक पहलुओं पर गहन अध्ययन, लेखन और रचनात्मक विमर्श को प्रोत्साहित करना है।