एक नई सोच, एक नई धारा

कांग्रेस के बड़े चेहरे चुनाव लडने से क्यों बच रहे, कहीं उम्र का बहाना तो कहीं नई पीढ़ी को मौका देने की दुहाई

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लोकासभा चुनाव के लिए राजनीतिक दल तैयारियों में जुटे हैं. कांग्रेस लगातार बीजेपी को तीसरी बार केंद्र की सत्ता में रोकने के लिए जुटी है. राहुल गांधी खुद पूरा जोर लगा रहे हैं और अपने नेताओं को ये संदेश दे रहे हैं की डरो मत लड़ो…, मगर कांग्रेस के दिग्गज नेता ऐसा करना नहीं चाहते. कोई अपनी उम्र का बहाना बना रहा है तो कोई नई पीढ़ी को मौका देने की दुहाई दे रहा है.

लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस अब तक उम्मीदवारों की दो सूची जारी कर चुकी है, इनमें अब तक 82 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान हो चुका है, लेकिन एक दो नामों को छोड़ दें तो इस सूची में दिग्गज नेताओं का नाम नहीं है. छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल को छोड़ दें तो कांग्रेस के अधिकांश वरिष्ठ नेता चुनाव लड़ने में हिचकिचा रहे हैं. इन नेताओं का हौसला बढ़ाने के लिए कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल खुद चुनाव मैदान में उतर रहे हैं, लेकिन वरिष्ठ नेता चुनाव लड़ने से कन्नी काट रहे हैं.

सोनिया गांधी

चुनाव लड़ने से मना करने वाले कांग्रेसी दिग्गजों की एक लंबी फेहरिस्त है, तकरीबन एक दर्जन से ज्यादा बड़े नेता हैं जो इस बार का लोकसभा चुनाव लड़ने से मना कर रहे हैं. इसमें पहला नाम सोनिया गांधी का है, हालांकि उनकी उम्र हो चली है, तबीयत कम ठीक रहती है, इसलिए वो राज्यसभा चली गईं हैं. उन्होंने राज्यसभा जाने से पहले रायबरेली के जो कार्यकर्ता हैं, उनको बुलाकर के कहा था कि मैं क्षेत्र में नहीं आ पाती हूं, मैं लोगों से मिल नहीं पाती हूं, मैं आपके काम उस तरीके से वहां रहकर वहां के अधिकारियों से मिलकर नहीं करा पा रही हूं जोकि मैं इतने सालों से करती आई हूं, इसलिए मैं लोकसभा चुनाव लड़ना नहीं चाहती.

मल्लिकार्जुन खरगे

मल्लिकार्जुन खरगे कलबुर्गी से लोकसभा सांसद रह चुके हैं और उस सीट से उनका नाम वहां की राज्य इकाई ने भेजा भी, लेकिन जब Tv9 भारतवर्ष ने उनसे इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि मेरी उम्र 83 साल हो गई है, इस उम्र में आकर अब मैं कहां चुनाव लडूंगा. चूंकि वे पार्टी अध्यक्ष हैं, इसलिए तमाम जगहों पर जाकर उन्हें देश भर में रैलियां करनी हैं, प्रचार प्रसार करना है, इसलिए वह एक सीट पर फंसना नहीं चाहते.

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अशोक गहलोत

अशोक गहलोत का कहना है कि वह खुद नहीं लड़ना चाहते, उनकी भी उम्र हो गई हे, उनका कहना है कि वह, सोनिया गांधी या खरगे उस लीग के नेता हैं, उनके साथ चलने वाले नेता हैं तो अब नई पीढ़ी को मौका मिलना चाहिए. स्वास्थ्य भी कम ठीक है, इसलिए अपने बेटे को वैभव गहलोत को टिकट दिलाया, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि जोधपुर से पिछली बार लड़कर वैभव गहलोत हारे थे, इस बार उन्हें जालौर सिरोही लोकसभा सीट पर शिफ्ट किया गया है.

दिग्विजय सिंह

इसके अलावा एक बड़ा नाम दिग्विजय सिंह का है, जो ना खुद लड़ रहे हैं. उनका कहना है कि अब उम्र बहुत हो गई है, नए लोगों को मौका मिलना चाहिए और मैं तो राज्यसभा में भी हूं.

कमलनाथ

कमलनाथ ने साफ कहा कि मुझे छिंदवाड़ा में फोकस करना है और वही उम्र बहुत हो गई है, नई पीढ़ी को मौका मिलना चाहिए. नकुलनाथ वहां से सांसद हैं तो नकुलनाथ ही चुनाव लड़ेंगे तो नकुलनाथ का नाम भी वहां से आ गया.

जितेंद्र सिंह

यह गांधी परिवार के काफी काफी करीबी है. उनका कहना था कि अलवर सीट से सांसद रहे हैं, केंद्र मंत्री रहे हैं. उनका यह कहना था कि अलवर सीट में अगर वो लड़ने जाते हैं तो प्रभारी महासचिव हैं, मध्य प्रदेश के भी और असम के भी तो ऐसे में वो चुनाव में फोकस करें या चुनाव लड़े तो वो भी पीछे हट गए.

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सचिन पायलट

सचिन पायलट एक ऐसे नेता थे, जिन्होंने कहा था कि मैं चुनाव लड़ना चाहता हूं, लेकिन उन्होंने साथ में यह भी जोड़ दिया कि अगर मैं चुनाव लडूंगा तो जीतने के लिए लडूंगा और ऐसे में जो देशभर में उनकी रैलियां लगाई जा रही हैं उसमें कटौती कर दी जाए, क्योंकि वह अपने क्षेत्र पर फोकस करना चाहेंगे. ऐसे में कांग्रेस आलाकमान ने ही कहा कि हमको आपको देश भर में रैलियां करानी हैं, देश भर में प्रचार-प्रसार करवाना है, आप चुनाव लड़ने की बजाय इस काम में ध्यान दीजिए.

नवजोत सिंह सिद्धू

पत्नी की अस्वस्थता के चलते नवजोत सिंह सिद्धू ने लोकसभा चुनाव लड़ने से मना किया. उन्होंने पत्नी की देखरेख का हवाला दिया है.

जयवर्धन सिंह

जयवर्धन सिंह लगातार राघोगढ़ से लगातार वो विधायक बनते आए हैं. उन्होंने कहा है कि मैं राज्य की राजनीति पहले करना चाहता हूं, अभी मेरी उतनी उम्र नहीं हुई है. मैं चाहता हूं कि मैं राज्य की राजनीति करूं और मैं विधायक के तौर पर ही रहना चाहता हूं. दूसरी अहम बात यह थी कि राजगढ़ जो लोकसभा की सीट है, उसमें एक और विधानसभा से कांग्रेस के कई बार के विधायक प्रियव्रत सिंह चुनाव जीतते रहे हैं तो दिग्विजय सिंह का ये कहना है कि एक ही परिवार की बजाय अगर प्रियव्रत सिंह को टिकट दिया जाए तो बेहतर रहेगा.

क्यों लिस्ट फाइनल नहीं कर पा रही कांग्रेस

कांग्रेस के पुराने नेता राज्यसभा या कोई बड़ा पद चाहते हैं. मंत्री पद है नहीं, राज्यसभा उतनी होती नहीं है, तीन राज्यों में सरकार है, कई जगह एमएलसी नहीं होता है तो अब बाकी राज्यों में नेताओं को कैसे संतुष्ट करे. कहीं पर दो उम्मीदवार हैं, तीन उम्मीदवार हैं. कांग्रेस कश्मकश में कि कहीं ऐसा न हो हमने एक को टिकट दिया और दूसरा कहीं दूसरी पार्टी से जाकर चुनाव लड़ ले. इसलिए धीरे-धीरे कांग्रेस पार्टी आगे बढ़ना चाहती है.

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