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कतर से पूर्व नौसैनिकों की रिहाई पीएम मोदी की अगुवाई में मिली बड़ी कूटनीतिक जीत

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नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारत सरकार ने एक बड़ी कूटनीतिक जीत हासिल की है. कतर ने आठ भारतीय पूर्व नौसैनिकों को रिहा कर दिया है, जो कथित रूप से जासूसी के आरोप में सजा का सामना कर रहे थे.

कतर का फैसला भारत के लिए बड़ी कूटनीतिक जीत के तौर पर देखा जा सकता है. अपने नागरिकों के लिए इस तरह से उनके साथ खड़ा रहना ये बताता है कि केंद्र सरकार के लिए अपने जवानों और अपने नागरिकों के हित की किस कदर चिंता करती है.

भारत लौटे पूर्व नौसैनिक अधिकारियों में से एक ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप के बगैर उनकी रिहाई संभव नहीं थी. उन्होंने दिल्ली एयरपोर्ट पर लैंड करने के बाद ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाए. सभी पूर्व अधिकारियों ने पीएम मोदी और कतर के अमीर का भी धन्यवाद दिया. एक पूर्व अधिकारी ने कहा कि उनकी रिहाई बिना भारत सरकार की कोशिशों के मुमकिन नहीं था.

8 भारतीय नागरिक अगस्त 2022 से कतर में कैद थे और उनपर पनडुब्बी कार्यक्रम पर कथित रूप से जासूसी करने का आरोप लगाया गया था. सेवानिवृत्त नौसैनिकों को कतर की एक अदालत ने उन आरोपों में मौत की सजा सुनाई थी जिन्हें अभी तक आधिकारिक तौर पर सार्वजनिक नहीं किया गया है.

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मामले के सामने आने के बाद से ही मोदी सरकार अपने नागरिकों को कतर से लाने के लिए प्रयास शुरू कर दिए थे. नौसेना के पूर्व कर्मियों के परिजनों ने केंद्र सरकार से उनकी रिहाई और उनकी मातृभूमि में सुरक्षित वापसी की गुहार लगायी थी, मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए विदेश मंत्रालय (एमईए) ने देश को आश्वस्त किया था कि वह सभी राजनयिक चैनलों के जरिए उन्हें वापस लाने के लिए कानूनी सहायता की व्यवस्था करेगा.

शुरुआत में नई दिल्ली के राजनयिक हस्तक्षेप के बाद दोहा ने भारतीय नागरिकों की मौत की सजा को कम करके उम्र कैद में बदल दिया गया था. विदेश मंत्रालय ने नवंबर 2023 में 8 पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों को मौत की सजा पर कतर के साथ अपील दायर की थी, जिन्हें 2022 अगस्त में गिरफ्तार किया गया था और पिछले साल अक्टूबर महीने में मौत की सजा सुनाई गई थी.

पीएम मोदी-कतर अमीर की मुलाकात के बाद मिली थी राहत
बीते साल 1 दिसंबर को दुबई में COP28 शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमाद अल-थानी के बीच बैठक के बाद पूर्व नौसैनिकों की सजा को कम किया गया था. कतर अमीर के साथ अपनी मुलाकात में पीएम मोदी ने पूर्व अधिकारियों का मुद्दा उठाया था.

अगस्त 2022 में गिरफ्तार किए गए थे पूर्व नौसैनिक
अलदहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज और कंसल्टेंसी सर्विसेज के साथ काम करने वाले पूर्व भारतीय नौसैनिकों को भ्रष्टाचार और जासूसी के एक मामले में कथित रूप से शामिल होने के लिए गिरफ्तार किया गया था.

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26 अक्टूबर को कतर की एक अदालत ने उन आठ भारतीय नागरिकों को मौत की सजा सुनाई, जिन्हें अगस्त 2022 में गिरफ्तार किया गया था. हालांकि, ना तो कतर एडमिनिस्ट्रेशन और ना ही भारत सरकार ने ही उन अधिकारियों के खिलाफ आरोपों को सार्वजनिक किया. जब मौत की सजा की खबर ने वैश्विक सुर्खियां बटोरीं तो भारत ने फैसले को “चौंकाने वाला” बताया और मामले में सभी कानूनी विकल्प के साथ जाने का फैसला किया था.

कतर से कौन हुए हैं रिहा
कतर में जो 8 पूर्व नौ सेना कर्मी जेल में थे, वे है – कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और नाविक रागेश शामिल हैं – जो कतर में अलदाहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी में काम कर रहे थे, जो कि एक सर्विसेज और रक्षा सेवा प्रदान करने वाली कंपनी है.

कई जमानत याचिकाएं की गईं खारिज
पूर्व नौसैनिक अधिकारियों ने अक्टूबर 2022 में दोहा में भारत के राजदूत से मुलाकात की थी और फिर वे अपने रिश्तेदारों से बात कर सके थे. मार्च 2023 में पूर्व नौसैनिकों द्वारा दायर कई जमानत याचिकाओं में से आखिरी याचिका खारिज कर दी गई थी. उसी महीने उन पूर्व अधिकारियों के खिलाफ कतर कोर्ट ट्रायल शुरू की थी और फिर 26 अक्टूबर को मौत की सजा सुनाई थी.

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