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झारखंड में 9वीं-12वीं तक के सर्वाधिक छात्र छोड़ते हैं पढ़ाई, जांच का आदेश

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झारखंड के सरकारी स्कूलों के बच्चे बीच में ही पढ़ाई छोड़ रहे हैं। हाई स्कूल व प्लस टू स्कूलों की कक्षाओं में छात्र-छात्राओं का ड्रॉप आउट दर सबसे अधिक है। गढ़वा में हाई-प्लस टू स्कूलों में सबसे ज्यादा 21 फीसदी छात्र-छात्राओं का ड्रॉप आउट है।

वहीं, गुमला में 16 प्रतिशत, सिमडेगा-साहिबगंज में 15-15 प्रतिशत, खूंटी में 14 प्रतिशत और पश्चिमी सिंहभूम-लोहरदगा में 13-13 प्रतिशत छात्र-छात्राओं का ड्रॉप आउट है। इसका खुलासा स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग के आंकड़ों से हुआ है। शिक्षा विभाग ने इसे गंभीरता से लिया है और बीच में पढ़ाई छोड़ने के कारणों की जांच का निर्देश दिया है।

स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने दिया जांच का आदेश
जिलों द्वारा प्रखंडवार, संकुलवार और विद्यालयवार इसकी जांच की जाएगी। स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग ने राज्य में प्राइमरी (प्राथमिक), अपर प्राइमरी (मिडिल), एलीमेंट्री (प्रारंभिक), सेकेंड्री (हाई) और हाइयर सेकेंड्री (प्लस टू) का एनुवल एवरेज ड्रापआउट रेट जारी किया है। इसमें प्राइमरी स्कूलों (पहली से पांचवीं) में ओवर ऑल ड्रॉप आउट 1.78 प्रतिशत है। वहीं, अपर प्राइमरी (छठी से आठवीं) में 3.86 प्रतिशत ड्रॉप आउट दर है। इसके अलावा सेकेंड्री (नौंवी-10वीं) में 3.2 प्रतिशत, जबकि हाइयर सेकेंड्री (नौवीं से 12वीं) में ड्रॉप आउट सबसे ज्यादा 7.98 प्रतिशत है। शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक क्लास में छात्र-छात्राओं का ड्रॉप आउट दर काफी अधिक है। इसे कम किये जाने की आवश्यकता है, ताकि झारखंड की स्थिति बेहतर हो सके।

स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव के रवि कुमार ने बताया कि राज्य के सरकारी स्कूलों में ड्रॉप आउट हो रहा है। हाई-प्लस टू स्कूलों में यह सबसे ज्यादा है। सभी जिलों को निर्देश दिया गया है कि स्कूलों में बड़ी संख्या में ड्रॉप आउट का क्या कारण है, इसकी जांच करें। प्रखंडवार, संकुलवार और विद्यालयवार ड्रॉप आउट की जांच की जाएगी।

● रांची जिले में 2.59 प्रतिशत जबकि गढ़वा जिले में प्लस टू में सबसे ज्यादा 21 फीसदी ड्रॉप आउट

● गुमला में 16 प्रतिशत, सिमडेगा-साहिबंगज में 15-15, खूंटी में 14 फीसदी ने छोड़ी पढ़ाई

– पश्चिमी सिंहभूम और लोहरदगा में 13-13 प्रतिशत छात्र-छात्राएं छोड़ चुके हैं विद्यालय

शिक्षा विभाग की ओर से पिछले साल कराए गए सर्वे के अनुसार करीब 56 हजार बच्चे स्कूली शिक्षा से बाहर हैं। तीन से 18 साल के ये बच्चे वैसे हैं जो स्कूल जाने के बाद ड्रॉप आउट हुए हैं। वहीं, इसमें छह से 14 आयु वर्ग के बच्चों को देखा जाए तो उनकी संख्या 37 हजार है। ये भी पहले स्कूल जाते थे, लेकिन अब नहीं जा पा रहे हैं।