जमशेदपुर : कदमा के शास्त्री नगर मामले में गिरफ्तार अभय सिंह और इन दिनों उनके परिवार पर नए नए मामले दर्ज होने को लेकर राँची प्रेस क्लब में एक प्रेस वार्ता रखी गयी थी जिसमें पूर्व विधायक प्रवीण सिंह, कोल्हान के प्रभारी ओबीसी मोर्चा हल्दर नारायण शाह, विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय मंत्री वीरेंद्र साहू एवं जमशेदपुर रामनवमी अखाड़ा समिति के महामंत्री नरेश अग्रवाल ने प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए कहा कि विगत दिनों जमशेदपुर कदमा थाना अंतर्गत शास्त्रीनगर उपद्रव में दो समुदायों की झड़प और आगजनी होती है। इस घटना का प्रमुख कारण 8 अप्रैल 2023 को एक बजरंग बली के झंडे में माँस के टुकड़े लटके हुए मिलता है। जिसकी खबर आने के बाद 2 समुदायों के बीच तनाव पूर्ण माहौल हो जाता है और ऐसे माहौल को देखते हुए पूरे थाना क्षेत्र में भारी संख्या में पुलिस बल लगा दी जाती है। रात तक मामला शांत हो जाता है। लेकिन 9 अप्रैल को घटना स्थल से लगभग 600 मीटर दूर स्थित गणेश पूजा मैदान में एक बहुत बड़ी इफ़्तार पार्टी होती है। इफ़्तार पार्टी के उपरांत पार्टी में शामिल लोग भारी मात्रा में ईंटा पत्थर लेकर घटना स्थल में पहुंचती है और घटना स्थल के समीप स्थित बजरंग जटाधारी मंदिर पर ईंटा पत्थर फेंकने लगते है। वे लोग घटना कर फिर सामने वाले मस्जिद जाते है, फिर पुनः हज़ारों की संख्या में ईंट, पत्थर, डंडा, आग्नेय अस्त्र लेकर जटाधारी मंदिर में हमला बोल देते हैं।
पुलिस डायरी में जिक्र के अनुसार उनलोगों द्वारा किये गए पथराव एवं डंडे से बहुत पुलिस वालों को भी चोटें आई। उस वक़्त भाजपा जिला स्तर के नेता, कदमा मंडल के बहुत से नेता एवं कार्यकर्ता घिर जाते हैं और वे लोग किसी प्रकार अपनी जान बचाकर भाग जाते हैं। वहाँ बहुत सारे मीडिया के लोग भी उपस्थित रहते हैं।
आक्रोशित समुदाय की भीड़ हज़ारों की संख्या में होने से पुलिस को भी पीछे हटना पड़ता है लेकिन तत्काल प्रभाव से पुलिसिया कार्रवाई करते हुए उस समय उक्त स्थान से बहुतों को गिरफ्तार किया जाता है। पुलिस तब तक सही दिशा में काम करती है, पुलिस तत्कालीन प्रभाव से कदमा थाना क्षेत्र में 144 धारा एवं घटना स्थल के 300 मीटर के मौखिक निषेधाज्ञा लगा देती है। गणेश पूजा मैदान के इफ्तार पार्टी में सम्मिलित नेताओं में से करीब 20 लोगों को पुलिस गिरफ्तार करती है लेकिन एक मंत्री के दबाव में गिरफ्तार लोगों को छोड़ दिया जाता है। उसी रात घटना स्थल के करीब एक गली में कई कारें एवं मोटरसाइकिल को तोड़फोड़ दिया जाता है। सूत्रों के अनुसार कुछ लोगों का कहना है कि पुलिस तोड़ी और कुछ लोग कहते हैं कि इफ्तार पार्टी वाले लोगों ने ही तोड़ा।
जिला पुलिस प्रशासन घटना छिपाने के उद्देश्य से, अल्पसंख्यक समुदाय को खुश रखने के लिए, मंत्री को खुश करने के लिए एवं तबादला न हो और इस संदर्भ को दबाने के लिए मंत्री के घोर विरोधी कदमा थाना से लगभग 6 किलोमीटर दूर में रहने वाले हिंदूवादी नेता सह भाजपा नेता श्री अभय सिंह को आनन फानन में 10 अप्रैल को सुबह 6 बजे घर से ताला तोड़कर गिरफ्तार करती है। इसका मंशा केवल एक मंत्री को खुश करने, घटना को गुमराह करने एवं अपने को तबादला न झेलना पड़े और पुलिस प्रशासन पुरानी खुन्नस, रामनवमी में जो अखाड़ा समिति से उनकी नहीं बनती है उसको लेकर जिला प्रशासन जमशेदपुर में इस काम को अंजाम देती है।
ज्ञात हो अभय सिंह जिला पुलिस प्रशासन एवं राज्य सरकार के नीति का विरोध हमेशा मुखर होकर करना ही उनकी गिरफ्तारी का प्रमुख कारण बना। मंत्री अपने विधानसभा के प्रमुख प्रतिद्वंद्वी अभय सिंह को मानकर चलते हैं और अभय सिंह को दबाने का यही प्रमुख कारण बना है। अभय सिंह ने कोरोना काल से मुखर होकर मंत्री के नापाक इरादों को हमेशा सड़कों में उतरकर विरोध किया है। वार्ता में कहा गया कि प्रेस एवं चैनलों के माध्यम से यह बताना चाहते हैं कि यह मामला जमशेदपुर प्रशासनिक अधिकारियों के दुर्भावना से प्रेरित है। मनगढ़ंत कहानी बनाकर व्यक्तिगत रूप से लांछन लगाते हुए अभय सिंह को मानसिक उत्पीड़न एवं व्यक्तिगत लोकप्रियता को नुकसान पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है, इसलिए प्रेस के माध्यम से न्याय हेतु राज्य सरकार के कानों तक यह बात जाए।
अभय सिंह को जेल भेजने के प्रमुख कारण :
1) जमशेदपुर के तत्कालीन डी.सी सूरज कुमार, बन्ना गुप्ता से साँठ गाँठ करके जुबली पार्क गेट हमेशा के लिए बंद करवा देते हैं। अभय सिंह उस गेट को नागरिक सुविधा मंच के साझा कार्यक्रम कर उसे खुलवा दिया, जिससे मंत्री पद पर आसीन बन्ना गुप्ता के मंसूबों पर पानी फिर गया।
2) मंत्री के तुष्टिकरण नीति के तहत एवं कोरोना के आड़ में 2021 दुर्गापूजा में श्री अभय सिंह के दुर्गापूजा पंडाल में तत्कालीन डी.सी सूरज कुमार द्वारा आकर सभी माँ दुर्गा के भक्तों के साथ अभद्र व्यवहार करना, जब पूजा कमेटी एवं अभय सिंह ने इसका डटकर विरोध किया तब डीसी सूरज कुमार द्वारा स्थानीय एवं प्रदेश के चैनलों और अखबारों में अपने इंटरव्यू में गलतफहमी कहकर अपने गलती का लीपा पोती किये। इसका फुटेज आप तत्कालीन समय के अभय सिंह एवं अन्य के फेसबुक और चैनलों से प्राप्त कर सकते हैं। कहा जाता है कि इसके पीछे भी मंत्री श्री बन्ना गुप्ता का ही हाथ था। बाद में 4 महीने उपरांत सरकारी कार्य में बाधा डालने का केस कर दिया जाता है।
3) जमशेदपुर मानगो थाना के अंतर्गत गांधी मैदान में दुर्गा पूजा न हो, अल्पसंख्यकों के सुविधा व लाभ पहुंचाने के लिए स्टेडियम बनाकर पूजा स्थल की घेराबंदी का विरोध करना भी मंत्री एवं जिला प्रशासन और राज्य सरकार को नागवार लगा। इसके अलावा संक्षेप में सभी लोग जानते है। सर्व विदित है जमशेदपुर में रामनवमी अखाड़ा बड़े धूमधाम से मानया जाता है। सरकार के मुस्लिम तुष्टिकरण के नतीजा का ही परिणाम है कि शांति समिति के बैठक में एसएसपी श्री प्रभात कुमार जी के द्वारा धमकी भरे लहजे में पूरे अखाड़ा समिति एवं शांति समिति के समस्त सदस्यों पर अमर्यादित व्यवहार का जो प्रयोग किया गया वह जमशेदपुर के इतिहास में प्रशासनिक और पुलिस की ओर से ऐसा कभी देखने को नहीं मिला था। उसके उपरांत दूसरे दिन ही इसका विरोध, अभय सिंह द्वारा फेसबुक के माध्यम से ऐसे कार्यों का विरोध किया गया। एसएसपी चाहते थे कि रामनवमी झंडे में टेलर का न प्रयोग हो न डीजे बजे। अभय सिंह ने विरोध कर यह बताया कि भारत मे ऐसा कोई कानून नहीं बना है जो भारत सरकार निर्देशित जो टेलर और डीजे नहीं बजाना चाहिए और मैं इसका विरोध करता हूँ। रामनवमी के समय ही पूरे रामनवमी अखाड़ा की समिति ने अभय सिंह के अगुवाई में यह निर्णय लिया कि हमलोग झण्डा नहीं निकालेंगे। ऐसे कई अखाड़ा समिति के लोगो को डराया गया, धमकाया गया, टेलर जब्त किया गया जिसमें एक प्रमुख अखाड़ा साकची थाना के अंतर्गत बाल मंदिर अखाड़ा भी थी जिसके प्रबल विरोध के कारण और प्रशासन के हठधर्मिता के कारण पूरे शहर में तनावपूर्ण माहौल हो गया।
4) कदमा थाना के अंतर्गत घटना के लगभग एक महीना पहले नाबालिग लड़की को लव जिहाद से विशेष समुदाय के लड़के को जेल भेजवाया और कदमा थाना में प्रदर्शन भी किया गया, यह भी एक कारण बना अभय सिंह को जेल भेजने का।
5) घटना के 4 -5 माह पूर्व जिला भाजपा जमशेदपुर द्वारा उपायुक्त का घेराव में एसएसपी श्री प्रभात कुमार द्वारा भाजपा ले सभी प्रतिष्ठित नेताओं को तुम ताम करना और जबरन माइक भाजपाइयों से लेकर धमकाना, इसका भी श्री अभय सिंह ने तत्कालीन समय मे एसएसपी का विरोध करना और माइक वापस लेना भी प्रमुख कारण है।
6) भारतीय जनता युवा मोर्चा के आंदोलन जिसमें साकची ग्रेजुएट कॉलेज में बच्चियां सुरक्षित रहें, जिसके लिए आंदोलन हुआ क्योंकि कॉलेज के सामने कब्रिस्तान का गेट खुलना, वहाँ अल्पसंख्यकों का जमावड़ा का विरोध किया गया था, इस आंदोलन को भी श्री अभय सिंह का प्रमुखता से साथ मिला, वह स्थान भी मंत्री के विधानसभा क्षेत्र में ही आता है। इससे छात्राओं के परिवार को लव जिहाद का डर बना रहता था।
7) पिछले दिनों देहाती अंचल बोड़ाम थाना में डीएसपी द्वारा मंडल महामंत्री जो आदिवासी समुदाय से है उनकी पिटाई कर सरेआम बाजार में घुमाया गया था, उसके विरोध में जमशेदपुर भाजपा के बैनर में सभी बोड़ाम थाना अंतर्गत धरना प्रदर्शन हुआ और डीएसपी पर मुकदमा दायर हुआ था, इस घटना के पीछे वे लोग अभय सिंह को मानते है। उस धरना में सांसद श्री विधुत वरण महतो, जिलाध्यक्ष गुँजन यादव और अन्य भी थे।
8) तत्कालीन डीसी सूरज कुमार 2021 में दुर्गा पूजा के समय सोनारी स्थित माँ दुर्गा की प्रतिमा 21 फ़ीट को तोड़कर छोटा करने का निवेदन किया था, इसका विरोध अभय सिंह ने पंडाल में धरना देकर किया था। यह भी क्षेत्र मंत्री के विधानसभा क्षेत्र के अंदर ही आता है।
9) कदमा थाना अंतर्गत शास्त्रीनगर 4 नम्बर लाइन में भाजपा कार्यकर्ता श्री अशोक दुबे जी के बगल में अल्पसंख्यकों के अवैध ऊंची बिल्डिंग का विरोध “गोपनीयता भंग” को संवैधानिक मौलिक अधिकार के रूप में रखकर घटना से 3-4 माह पूर्व से लगातार किया गया, क्योंकि कदमा थाना क्षेत्र मंत्री का विधानसभा क्षेत्र है, यह भी एक कारण है अभय सिंह को दबाने का।
महाशय प्रेस वार्ता के माध्यम से अभय सिंह की गिरफ्तारी शास्त्रीनगर दंगे मामले में हुआ, जबकि अभय सिंह शास्त्री नगर वाले दंगे में नहीं थे तो फिर आप उन्हें गिरफ्तार कर झूठे मामले में ले जाते हैं। जिस दिन अभय की गिरफ्तारी होती है अभय घर में होते हैं। गिरफ्तारी के बाद उन्हें बिष्टुपुर थाना में पुलिस प्रशासन रखती है। जो अभय सिंह के थाने के अंतर्गत नहीं आता है। जब अभय सिंह को करीब 7 घंटे तक थाना में बिठा करके रखते हैं तो तत्कालीन समय के जमशेदपुर पूर्वी क्षेत्र के विधायक सरयू राय भी मिलने जाते हैं, जिला अध्यक्ष गुंजन यादव भी जाते हैं, प्रदेश अध्यक्ष श्री दिनेश गोस्वामी भी जाते हैं। वह सभी जाकर गिरफ्तारी का कारण पूछते हैं। गिरफ्तारी का कारण बिष्टुपुर पुलिस थाना नहीं बता पाती है। वह लोग सभी एसएसपी से फोन में बात करते हैं एसएसपी ने अपना पल्ला झाड़ते हुए यह कहते हैं कि यह दुर्गा पूजा भोग वितरण का मामला है। जब अभय सिंह की बात रांची भाजपा मुख्यालय में पहुंचती है तो दूसरे दिन 11 तारीख को रांची 11 अप्रैल को सचिवालय घेराव का कार्यक्रम की तैयारी चल रही थी। फिर भी इतनी व्यस्तता क्रम के रहते तैयारी के बावजूद प्रदेश द्वारा 3 सदस्य टीम जमशेदपुर रवाना करती है, हकीकत जानने के लिए। उसमें भाजपा नेता जेपी तुबिद, भाजपा नेता लक्ष्मण सिंह, पूर्व डीआईजी, सांसद विद्युत वरण महतो पूर्व प्रदेशाध्यक्ष भाजपा श्री दिनेश चंद्र गोस्वामी एवं जमशेदपुर जिला अध्यक्ष श्री गुंजन यादव कि एक 5 सदस्य टीम की जमशेदपुर सर्किट हाउस में पुलिस प्रशासन के साथ एक बैठक होती है। उस बैठक में वर्तमान उपायुक्त और एसएसपी श्री प्रभात कुमार भी मौजूद रहते हैं जब उनसे सभी प्रतिनिधियों ने पूछा अभय सिंह का दोष क्या है व शास्त्री नगर के दंगे में उनकी संगलिग्ता है या नहीं, या विशेष बैठक 45 मिनट तक चला। किसी के पास भी कोई जवाब नहीं था। केवल यह कहा कि इनकी पुरानी केस है जिसमें वारंट है सरकारी बाधा के तहत 353 की धारा लगी हुई है और यह धारा गैर जमानती है इसलिए हम लोग जेल भेज रहे हैं। वह लोग यह बात सुनकर के वापस रांची लौट आते हैं, लेकिन इधर जमशेदपुर में उनके लौटने के साथ ही इनको जमशेदपुर कोर्ट पेशी के समय शास्त्री नगर वाले दंगे की धारा लगाकर जेल भेज दिया जाता है। आखिर यह किस दबाव के कारण स्थानीय पुलिस प्रशासन ने किया ?
पुलिस प्रशासन, सरकार एवं जनता के सामने कुछ सवाल भी रखे गए
1) जिस वक्त अभय सिंह पर दंगे में शामिल होने का इल्जाम लगाया क्या उस वक्त अभय सिंह मौके पर मौजूद थे?
2) क्या ऐसा कोई भी सबूत है जिससे यह साबित हो कि अभय सिंह दंगाइयों को दिशा निर्देश दे रहे थे ?
3) आज सोशल मीडिया और मीडिया के जमाने में जब एक मामूली चोर को भी पुलिस पकड़ती है तो प्रेस के सामने लाइन हाजिर कर सबूतों के साथ प्रस्तुत करती है मानते हैं केस कोर्ट में sub judice है, पर क्या एक भी सबूत प्रशासन पेश कर पाई ?
4) आज सबसे बड़ा सबूत इंसान का मोबाइल फोन होता है। अभय सिंह का मोबाइल 1 दिन में थाना ने परिवार को सुपुर्द कर दिया। जिसका सीधा मतलब है कि पुलिस के पास मोबाइल से कोई सबूत नहीं मिला।
5) गिरफ्तारी के बाद लगभग 12:00 बजे तक भाजपा के नेता, विधायक सरयू राय, सांसद विद्युत वरण महतो तक को यह नहीं बता पाए पुलिस की अभय सिंह को गिरफ्तार किस मुद्दे पर किया गया है। 2021 भोग प्रकरण की बात कर दिग्भ्रमित करने का प्रयास किया गया। अगर भाजपा के नेताओं को मान भी लिया जाए कि वह किसी संवैधानिक पद पर नहीं है तो क्या एक विधायक या सांसद को भी जानने का अधिकार नहीं था कि मामला क्या है ?
6) बिष्टुपुर थाना में करीब 6 घंटे के बाद अचानक से दंगे के सारे धाराओं को लगाकर अभय सिंह का चालान कर दिया जाता है 6 घंटे लग गया यह सोचने में की धारा कौन सा लगाया जाए?
इधर नई केस का उदय
7) जिस बिल्डिंग पर पिछले कई वर्षों से धोखाधड़ी का आरोप हमने लगाया है, जिसके जवाब में पुलिस या कहते आ रही है कि बिल्डर पकड़ में नहीं आ रहा। आज अचानक बिल्डर और उसका पार्टनर आकर हम पर वसूली और गुंडई का आरोप लगाया जाता है।
8) जब बिना किसी सबूत के एक जनमानस के नेता को उठाकर जेल में बंद कर दिया जा सकता है और खोज खोज कर केस डायरी सबमिट होने के बाद उन पर धाराएं जोड़ी जा रही है, तो यह कैसे मान लिया जाए कि शासन के साथ प्रशासनिक अधिकारी भी राजनीति खेलने में व्यस्त नहीं है ?
9) जिस बिल्डिंग के नाम से हम पर मुकदमा कर रघुवंशी एंटरप्राइजेज के नाम से ईट गिट्टी बालू जबरन सप्लाई करने का इल्जाम लगता है, वह बिल्डिंग बने 4 वर्ष से ज्यादा हो चुका है, जो कि गैरकानूनी तरीके से बनाया गया है। वहीं 2 महीना पहले जिस फर्म का नाम भी नहीं सोचा गया था उस पर से 5 साल पहले ईट बालू सप्लाई करने का इल्जाम लगाना हास्यास्पद है।
10) अभय सिंह द्वारा कदमा लव जिहाद प्रकरण, बोड़ाम थाना क्षेत्र में तत्कालीन डीएसपी द्वारा भाजपा महामंत्री के बीच सड़क कमर में रस्सी बांधकर घुमाने का प्रकरण, दुर्गा पूजा भोग वितरण का प्रकरण, प्रशासन द्वारा हेलमेट चेक के नाम पर वसूली, बन्ना गुप्ता द्वारा गांधी मैदान घेरने का प्रकरण, साकची कब्रिस्तान गेट कॉलेज की ओर से खोलने के प्रकरण का पुरजोर विरोध किया गया।
11) साथी रामनवमी में जिस प्रकार प्रशासनिक तानाशाही और तुष्टीकरण का विरोध अभय सिंह ने किया उससे हम पर पुलिसिया एक्शन की तलवार लटक रही थी, किन्तु जिस प्रकार राजनीतिक और प्रशासनिक षड्यंत्रकारी अब पूरे परिवार को घेर रहा है क्या इसे उचित ठहराया जा सकता है ?
12) एसएसपी ही दोषी है, शांति भंग प्रायोजित किया बन्ना गुप्ता के साठगांठ से , जाँच हो।
13) जो मामले बिल्डर और अभय सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह के साथ चल रहा है उसको एसएसपी द्वारा गुमराह में रखी हुई है। इसका प्रमुख कारण जो मामले कोर्ट में चल रहे हैं वैसे मामले में भी अनावश्यक जबरन मनगढ़ंत नौटंकी ढंग से बिल्डर के पार्टनर से केस करवाना और उसको साफ झूठा साबित करके थाना में काउंटर हो जाता है तो दूसरे दिन बिल्डर के पार्टनर मोहम्मद सागिर के द्वारा दूसरे थाना में केस करवाना जिससे की छवि धूमिल हो। हो सकता है कि अभय सिंह को बेल हो जाए लेकिन इतने केस उनके ऊपर हो जाए जिससे की प्रोसेस के तहत उनको बाहर आने में महीनों लग जाये। जमशेदपुर के एसएसपी एक सोची समझी राजनीति के तहत दुर्भावना से प्रेरित होकर, कानून को ताक में रखकर, विश्व अस्मिता को ताक में रखकर, अभय सिंह से बदले की भावना किसके कहने पर ले रहे हैं यह समझ से परे है। अगर अभय सिंह दंगे में लिप्त है तो पुलिस सिर्फ एक सबूत जनता के सामने पेश कर दिखाए।