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असाधारण व्यक्ति हैं नरेन्द्र मोदी, तीसरी बार भी जीतेंगे चुनाव… द इकोनॉमिस्ट की चुनाव से पहले भविष्यवाणी!

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भारत में अगले महीने से शुरू होने वाले वोटिंग से पहले चुनावी मैदान सजा हुआ है और इस वक्त सभी राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर रही हैं। भारत में होने वाले चुनाव को लेकर दुनियाभर की मीडिया की नजरें बनी हुई हैं।

द इकोनॉमिस्ट के एक लेख में कहा गया है, कि क्लास पॉलिटिक्स, इकोनॉमिक्स और ताकतवर शासन की वजह से भारत के अभिजात वर्ग में नरेन्द्र मोदी को काफी प्रशंसा मिल रही है और शिक्षित मतदाताओं के बीच नरेन्द्र मोदी काफी प्रसिद्ध हो चुके हैं।

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नरेन्द्र मोदी की जीत की भविष्यवाणी

द इकोनॉमिस्ट की लेख में कहा गया है, कि जब भारत के शिक्षित मतदाताओं के बीच नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता की बात आती है, तो उनकी अनुमोदन रेटिंग काफी बढ़ जाती है और दुनियाभर के नेताओं के बीच उनकी स्वीकार्यता काफी ज्यादा बढ़ जाती है।

लेख में कहा गया है, कि “अकसर नरेन्द्र मोदी को डोनाल्ड ट्रंप जैसे दक्षिणपंथी नेताओं से जोड़ा जाता है, लेकिन मोदी कोई साधारण तौर पर मजबूत नेता नहीं हैं, बल्कि जिस तरह से डोनाल्ड ट्रंप के लिए संस्थान विरोधी लोग समर्थन देते हैं, भारत में ऐसा नहीं है। जिससे ये समझने में मदद मिलती है, कि आज भी वो किसी प्रमुख लोकतंत्र के सबसे प्रमुख नेता क्यों हैं।”

द इकोनॉमिस्ट की लेख के मुताबिक, “भारत में हुए पिछले आम चुनाव के बाद पोलस्टेर के सर्वे में पता चला है, कि 42 प्रतिशत डिग्रीधारियों ने नरेन्द्र मोदी का समर्थन करना शुरू कर दिया है, लेकिन प्राथमिक स्कूल जाने वाले 35 प्रतिशत मतदाताओं ने नरेन्द्र मोदी का समर्थन किया है।

वहीं, राज्यों में हुए चुनाव भी इस सर्वेक्षण रिजल्ट को ही फॉलो करते हैं, जैसे कर्नाटक के विश्वविद्यालयों में पढ़े 35 प्रतिशत शिक्षित मतदाताओं ने मोदी और बीजेपी को समर्थन देने की बात कही है।

लेख में कहा गया है, कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विदेशी समकक्ष इस दौरान देश के मतदाताओं के बीच अपनी स्वीकार्यता बढ़ाने में कामयाब नहीं हो पाए हैं, लेकिन मोदी की लोकप्रियता जबरदस्त बढ़ी है। और इसके लिए तीन फैक्टर्स जिम्मेदार हैं।

तीन फैक्टर्स से मोदी की बढ़ी लोकप्रियता

1- क्लास पॉलिटिक्स

2- अर्थव्यवस्था

3- ताकतवर शासन

रिपोर्ट में बताया गया है, कि प्रधानमंत्री मोदी के शासनकाल में बीजेपी ने खुद को जातियों की राजनीति से ऊपर उठाकर ‘संपूर्ण हिंदू पार्टी’ बन गई है।

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द इकोनॉमिस्ट लेख में कहा गया है, कि “मोदी की लोकप्रियता की दूसरी वजह है भारत की अर्थव्यवस्था का बेहतरीन प्रदर्शन। साल 2023 के आखिरी तिमाही में भारत का ग्रोथ रेट 8.4 प्रतिशत था और गोल्डमैन सैक्स ने इसे ‘समृद्ध भारत का उदय’ करार दिया है।

गोल्डमैन सैक्स ने कहा है, कि साल 2011 के मुकाबले साल 2023 में 10 हजार डॉलर सलाना की कमाई करने वालों की संख्या 2 करोड़ से बढ़कर 6 करोड़ हो गई है और 2027 तक ये संख्या 10 करोड़ के आंकड़े को पार कर जाएगी।

द इकोनॉमिस्ट ने इन आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा है, कि “ये कोई आश्चर्य की बात नहीं है, कि प्रधानमंत्री मोदी ने उन लोगों को समर्थन बरकरार रखा है, जो अमीर हो गये हैं, लेकिन मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल ने दुनिया की राजनीति में भी भारत के कद और ग्लोबल पॉलिटिक्स में भारत की भूमिका को बढ़ाया है। चीन के खिलाफ बनने वाले गुट ने दिल खोलकर भारत का समर्थन किया है और इसके लिए मोदी सरकार का ताकतवर शासन है और अब लोग ये मानने लगे हैं, कि ये ताकतवर शासन उसी तरह का है, जैसा होना चाहिए।”

प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता का तीसरा कारण बताते हुए लेख में कहा गया है, कि भारत का शिक्षित अभिजात वर्ग मोदी की विदेश नीति को राष्ट्रवादी, लेकिन व्यावहारिक मानता है।

लेख में कहा गया है, कि “प्रधानमंत्री मोदी ने साल 2021 से चार नये व्यापारिक सौदों की घोषणा की है और हाल ही में 10 मार्च को चार गैर-यूरोपीय देशों के साथ फ्री ट्रेड पर बातचीत चल रही है। और भारत ने खुद को ग्लोबल साउथ के लीडर के तौर पर स्थापित कर लिया है।

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‘राहुल गांधी खो चुके हैं विश्वास’

द इकोनॉमिस्ट के लेख में कहा गया है, कि “ज्यादातर अभिजात वर्ग में कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी ने अपना विश्वास खो दिया है और ये वर्ग उन्हें वंशवादी और ऑउट ऑफ रीच मानता है। हालांकि, अभिजात वर्ग एक मजबूत विपक्ष चाहता है, जो प्रधानमंत्री मोदी को पीछे छोड़ सके, लेकिन फिलहाल कोई ऐसा नेता नजर नहीं आ रहा है।”

आपको बता दें, कि इस चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाले NDA ने 400 सीटें हासिल करने का लक्ष्य रखा है और भारत में 19 अप्रैल से 1 जून के बीच नई लोकसभा के लिए सात चरणों में चुनाव होंगे। वोटों की गिनती 4 जून को होगी।