Site icon

नामी रेस्टोरेंट का मामला आया प्रकाश में, काम छोड़ने पर कर्मचारी को नहीं दी गयी मेहनताना

Screenshot 2024 0323 114505

जमशेदपुर : पूंजीपतियों द्वारा अपने कर्मचारियों का शोषण करना कई जमाने से होता आ रहा है, बदलते जमाने में परिस्थितियां बदली भी है और पूंजीपति समाज की सोच भी, लेकिन 21वीं सदी में भी कुछ ऐसे पूंजीपति वर्ग मौजूद है जो अपने कर्मचारी का शोषण करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। ऐसा ही मामला एक नामी रेस्टोरेंट का आया है, जहाँ कर्मचारी के काम छोड़ने के बाद उनका बकाया वेतन देने से इनकार कर दिया गया।

यह मामला जमशेदपुर के भालूबासा में स्थित ए. जे. फ्यूज़न रेस्ट्रोरेंट का है। जहाँ कैशियर का काम कर रहे रितेश कुमार को काम छोड़ने के बाद उन्हें लगभग 15 दिनों का वेतन नहीं दिया गया। बकौल रितेश कुमार वह दिसम्बर के अंतिम सप्ताह में वहाँ जॉइन हुए और उन्हें जनवरी माह में 7 दिन का वेतन दिया गया एवं जनवरी के वेतन भी उन्हें पूरा दिया गया, लेकिन फरवरी माह का वेतन में कटौती की गई और यह कहा गया कि आपका समय 2 बजे से होता है लेकिन आप 2:30 बजे आते हैं जबकि शुरू दिन से ही उनकी बात दोपहर 2:30 से रात्रि 11:00 बजे तक की हुई थी। इसके बावजूद ग्राहक होने की वजह से वह कभी रात्रि 12:30 बजे तक भी रुक जाते थे। इसके बावजूद उनके वेतन में कटौती की गई। जिस कारण उन्होंने काम छोड़ने का फैसला किया और अपना फुल एन्ड फाइनल सेटलमेंट करने को कहा जिस पर वहाँ के एकाउंटेंट ने जवाब दिया कि और कोई पैसा नहीं मिलेगा क्योंकि काम आप छोड़ रहे हैं मैं नहीं हटा रही हूँ।

मामले की जानकारी मिलने पर “तीसरी धारा न्यूज़” ने रेस्ट्रोरेंट के एकाउंटेंट से सम्पर्क साध कर उनका पक्ष जानने की कोशिश की लेकिन एकाउंटेंट ने अपने उच्च अधिकारी से समय लेकर बात कराने का कह कर इसे टाल दिया। इसके उपरांत रितेश कुमार को मैसेज के जरिये शुक्रवार को आकर अपना पैसा ले जाने की बात कही गयी।

शुक्रवार को रितेश कुमार के पहुंचने के बाद उन्होंने उनके काम जॉइन करने से लेकर काम छोड़ने के दौरान तक जो भोजन उन्हें दिया गया उसका पैसा काट कर तकरीबन 1400 रुपये उन्हें दिए जा रहे थे। जिसे लेने से उन्होंने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि जॉइनिंग के वक़्त उन्हें खाना के पैसे कटेंगे यह नहीं बताया गया था और यदि काटना ही था तो शुरू के महीने से ही काटना चाहिए था। रितेश कुमार ने यह भी कहा कि उन्हें यदि यह कहा जाता कि दिए जा रहे भोजन का पैसा कटेगा तो वह कभी भोजन वहाँ करते ही नहीं।

अब सवाल यह उठता है कि होटल या रेस्टोरेंट में कार्य करने वाले कर्मचारियों का भोजन की व्यवस्था उनके द्वारा ही की जाती है और यदि इस नामी रेस्ट्रोरेंट में यह प्रावधान नहीं है तो उन्होंने इसे पहले क्यों नहीं बताया। क्या यह एक जरिया है काम छोड़ कर जाने वाले को रोकने या उनकी मजबूरियों का फायदा उठाने का ? आखिर कब तक ऐसे पूंजीपति अपने कर्मचारियों का हक़ मारते रहेंगे और उनकी मजबूरियों का फायदा उठाते रहेंगे।

तीसरी धारा न्यूज़ इस मामले से जुड़े चैट की तस्वीर, कॉल एवं वॉइस रिकॉर्डिंग और वीडियो संकलित करने में लगी है, जल्द ही सारे सबूत जनता के समक्ष होंगे।

Exit mobile version