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गलत बयानी करने वाले मनजीत – कुलवंत संगत के सामने माँगे माफ़ी- सुरजीत सिंह खुशीपुर

जमशेदपुर। टीनप्लेट गुरुद्वारा कमेटी के पूर्व प्रधान एवं उम्मीदवार सरदार सुरजीत सिंह खुशीपुर ने गलत बयानी करने वाले सरदार मंजीत सिंह गिल एवं सरदार कुलवंत सिंह खलेरा को संगत से माफी मांगने को कहा है। सरदार सुरजीत सिंह खुशीपुर ने कहा है कि सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगने पर वे कानूनी कार्रवाई करेंगे। सुरजीत सिंह के अनुसार यदि वे गुरुघर के देनदार होते तो साल 2017 में सरदार तरसेम सिंह सेम्मे उनका नाम सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के डेलीगेट के तौर पर क्यों भेजते। वास्तव में अपनी संभावित हार देख विरोधी बौखला गए हैं और मनजीत सिंह गिल और कुलवंत सिंह खलेरा को मोहरा बनाकर बदनाम करने की साजिश रचे हैं।
सरदार सुरजीत सिंह के अनुसार उन्होंने अपना चार्ज साल 2008 में तब के नए प्रधान सरदार जोगिंदर सिंह को सौंप दिया था और कोई देनदारी नहीं रही और लगातार वहां महासचिव पद पर रहा और वर्तमान में भी तरसेम सिंह सेम्मे की कमेटी में महासचिव हूं। तरसेम सिंह से मतभेद होने के बावजूद उसने सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के डेलीगेट के तौर पर मेरा नाम भी भेजा। बैंक खाते में भी मेरा ही नाम दर्ज है।


सुरजीत सिंह खुशीपुर के अनुसार सरदार गुरुचरण सिंह बिल्ला से मतभेद हुए थे और उन्होंने मेरे नाम पर गबन का आरोप लगाया था जो पुलिस जांच में झूठा पाया गया और पुलिस ने मुझे क्लीनचिट दी।
वास्तव में खालसा गुरुद्वारा स्कूल की क्लर्क सुरजीत कौर ने ₹ एक लाख पैंसठ हजार का गबन किया था और वह पैसा वसूलने की जिम्मेदारी मुझे कमेटी ने सर्वसम्मति से दी थी। पैसा नहीं दी तो सुरजीत कौर पर मुकदमा हुआ और उसने दस हजार रुपए माहवार किस्त के रूप में कमेटी को लिखित देने का करार किया । जमानत लेने के बाद वह फरार हो गई और बाद में उसकी मृत्यु हो गई। सुरजीत कौर की बहन उस मामले में गवाह थी और वह अभी भी जीवित है। करारनामा में उसके दस्तखत भी है।
यह तथ्य टीनप्लेट गुरुद्वारा की कमेटी तथा संगत को मालूम है परंतु मनजीत सिंह गिल और कुलवंत सिंह खलेरा जानबूझकर चुनाव को प्रभावित करने के लिए इस तरह के अनर्गल आरोप लगा रहे हैं। यह दोनों ही पहले जाति का वास्ता देकर मनाने की कोशिश करते रहे और जब नहीं माना तो इस नीचे स्तर पर उतर आए हैं। यदि दोनों सच्चे हैं तो अपने बेटों को लेकर गुरु घर में आए और अरदास करवा कर कहे कि उक्त रकम का गबन सरदार सुरजीत सिंह खुशीपुर के द्वारा किया गया है तो मैं सारी रकम वापस कर दूंगा।

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