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रामनवमी 2023 : इस मुहूर्त में करें राम नवमी पूजा, जाने राशि के हिसाब से क्या लगाएं भोग, पूजन विधि और सामग्री

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हर साल चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी को भगवान राम का जन्म उत्सव बेहद धूमधाम से मनाया जाता है। इसे राम नवमी के नाम से जाना जाता है। इस साल रामनवमी 30 मार्च को है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार भगवान राम का जन्म मध्याह्न काल में यानी दोपहर के समय हुआ था। इसलिए राम नवमी की पूजा इसी मुहूर्त में की जाती है। सनातन धर्म के लोगों के लिए रामनवमी का उत्सव बहुत खास होता है। जिसे सभी लोग बेहद भक्ति भाव और आनंद के साथ मनाते हैं। इस दिन कई लोग व्रत उपवास करते हैं और भगवान राम के बाल स्वरूप की पूजा करते हैं। इस दिन कन्या पूजन भी किया जाता है। लोग अपने घर में कन्याओं को बुलाकर उन्हें हलवा, पूरी, खीर और फल मिठाइयां आदि अर्पित करते हैं। दरअसल इस दिन नौ कन्याओं को मां दुर्गा का रूप मानकर पूजा जाता है। राम नवमी के दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा होती है।

राम नवमी पूजा सामग्री

राम दरबार की तस्वीर, रौली, श्रीराम की पीतल या चांदी की मूर्ति, अभिषेक के लिए दूध, दही, शहद, शक्कर, गंगाजल, मौली, चंदन, अक्षत, कपूर, फूल, माला, सिंदूर, मिठाई, पीला वस्त्र, धूप, दीप, पान, लौंग, इलायची, अबीर, गुलाल, ध्वजा, केसर, पंचमेवा, पांच फल, हल्दी, इत्र, तुलसी दल, सुंदरकांड या रामायण की पुस्तक।

रामनवमी की सरल पूजा विधि

★ रामनवमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाएं और स्नान आदि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें।
★ भगवान राम का ध्यान करें और सच्चे मन से उनकी भक्ति करें।
★ फिर दोपहर 12 के करीब शुभ मुहूर्त में राम जी की पूजा शुरू करें।
★ राम नवमी पर श्री राम के बालरूप की पूजा की जाती है।
★ रामलला का श्रृंगार करें और उन्हें फूलों से सजाएं।
★ फिर उन्हें झुले में विराजमान करके, झुले को भी सजा लें।
★ इसके बाद एक ताबें का कलश लें उसमें आम के पत्ते, नरियल, पान आदि रखें। फिर इस कलश को चावल के ढेर पर स्थापित कर दें।
★ कलश के पास चौमुखी दीपक जला लें।
★ फिर श्री राम को खीर, फल, मिठाई, पंचामृत, कमल, तुलसी और फूल माला अर्पित करें।
★ फिर विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
★ इस दिन पंचामृत के साथ पीसे हुए धनिये में गुड़ मिलाकर प्रसाद बनाकर बांटा जाता है।

रामनवमी के मंत्र

★ ॐ रामभद्राय नम:
★ ॐ रामचंद्राय नम:
★ ॐ नमो भगवते रामचंद्राय
★ रां रामाय नम:

राम नवमी कथा

त्रेता युग के समय अयोध्या के राजा दशरथ अपनी तीन पत्नियों कौशल्या, केकई, और सुमित्रा के साथ रहते थे। उनके जीवन में किसी चीज की कमी नहीं थी लेकिन फिर भी वे परेशान रहते थे। उनके दुख का कारण था उनकी संतान का न होना। राजा दशरथ की कोई संतान नहीं थी। एक दिन उन्होंने संतान प्राप्ति के लिए ऋषि वशिष्ठ के सुझाव पर पुत्रकामेश्ती यज्ञ किया। इस यज्ञ को ऋषि ऋष्यशृंग ने संपन्न कराया था। इस यज्ञ के परिणाम स्वरुप अग्निदेव राजा दशरथ के सामने प्रकट हुए और उन्हें दिव्य खीर का एक कटोरा प्रदान किया। उन्होंने राजा दशरथ से खीर को अपनी तीनों पत्नियों के बीच बांटने की बात कही।

ऐसे में राजा दशरथ ने आधी खीर अपनी बड़ी पत्नी कौशल्या को और आधी खीर अपनी दूसरी पत्नी केकई को दे दी। वहीं इन दोनों ही रानियों ने अपनी खीर का कुछ हिस्सा रानी सुमित्रा को भी दे दिया। बताया जाता है इसके बाद चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष के नौवें दिन कौशल्या ने राम को, केकई ने भरत को और सुमित्रा ने लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया। कहते हैं तभी से इस दिन को रामनवमी के रूप में मनाई जाने की परंपरा की शुरुआत हुई।

राम नवमी 2023 पर भगवान राम को राशि अनुसार लगाएं भोग

राशि भोग
★ मेष : अनार या गुड़ की मिठाई
★ वृषभ : सफेद रंग का रसगुल्ला
★ मिथुन : मीठा पान
★ कर्क : खीर का भोग
★ सिंह : मोती चूर के लड्डू या बेल फल
★ कन्या : हरे रंग का फल
★ तुला : काजू कतली मिठाई
★ वृश्चिक : हलवा-पूरी
★ धनु : बेसन का हलवे या मिठाई
★ मकर : सूखे मेवे
★ कुंभ : काले अंगूर और चना-हलवा
★ मीन : बेसन के लड्डू

राम नवमी पर क्या करें और क्या न करें

★ सूर्योदय से पहले उठकर गंगा नदी में स्नान करें।
★ अगर नदी स्नान संभव न हो तो घर पर ही नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगा मिलाकर स्नान कर लें। इससे आपके पिछले जन्म के पाप धुल जाएंगे।
★ भगवान राम की विधि विधान पूजा करें।
★ कन्याओं को भोजन कराएं और उन्हें उपहार दें।
★ इस दिन माता रानी को लाल चुनरी, लाल कपड़े, श्रृंगार सामग्री चढ़ाएं। साथ ही हलवा पूरी का भोग लगाएं।
★ इस दिन क्रोध न करें।
★ किसी का अपमान न करें।
★ शराब और तामसिक भोजन का सेवन ना करें।

राम नवमी के नियम

इस दिन ब्रह्मा मुहूर्त में उठकर नदी स्नान करने की परंपरा है। अगर ऐसा कर पाना संभव न हो तो घर के नहाने के पानी में ही थोड़ा सा गंगाजल डाल लें और उससे स्नान कर लें। इसके बाद भगवान राम और देवी दुर्गा की पूजा शुरू करें। इस दिन कन्याओं को भोजन कराएं और हवन भी करें। इसके साथ ही राम नवमी पर राम रक्षा स्त्रोत, राम मंत्र, और रामायण के बालकांड का पाठ करें।

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