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कदमा हिंसा मामले में प्रशासन की कार्रवाई सवालों के घेरे में, बौखलाहट में की गई कार्रवाई

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कदमा के शास्त्रीनगर में 10 अप्रैल को हुए सांप्रदायिक उपद्रव मामले में जो कार्रवाई हो रही है, उससे जिला पुलिस और जिला प्रशासन सवालों के घेरे में आ गया है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश और पूर्व अध्यक्ष रवींद्र राय ने अभय सिंह, सुधांशु ओझा और विहिप कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर आपत्ति जताई है। भाजपा नेता का कहना है कि ये गिरफ्तारियां प्रशासन ने एक मंत्री के इशारे पर की हैं।

नौ अप्रैल की घटना को हल्के में लेने का आरोप

भाजपा के मुताबिक, नौ अप्रैल को जब महावीरी झंडे में मांस का टुकड़ा बंधा हुआ मिला और इसे लेकर जो हंगामा हुआ, उसे लेकर पुलिस ने लापरवाही बरती।
पुलिस ने वहां जवानों की तैनाती नहीं की, जिसके बाद उपद्रवियों ने दूसरे दिन हमला कर दिया। मंदिर और हिंदुओं के साथ-साथ पुलिस पर भी उपद्रवियों ने पथराव किया। इस मामले में पुलिस का खुफिया तंत्र पूरी तरह फेल दिखा।

बौखलाहट में की गई कार्रवाई

भाजपा के मुताबिक, अपनी नाकामी छिपाने के लिए पुलिस-प्रशासन ने बौखलाहट में आक्रामक कार्रवाई शुरू कर दी। इसमें ऐसे-ऐसे लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया, जिनका इस घटना से प्रत्यक्ष या परोक्ष संबंध नहीं था। भाजपा नेता अभय सिंह कदमा नहीं गए, न किसी से मिले थे।
इसके बावजूद उन्हें कुख्यात आतंकवादी की तरह सुबह-सुबह घर में घुसकर दरवाजा तोड़कर गिरफ्तार किया। अभय सिंह उस वक्त नींद में थे। इस कार्रवाई से यही सवाल उठ रहा है कि क्या अभय सिंह ऐसे दुर्दांत अपराधी थे, जो पुलिस से मुठभेड़ कर सकते थे। अभय सिंह और हिन्दू संगठनों के नेताओं को गिरफ्तार करने के लिए प्रशासन ने रात 2 बजे से पूरे शहर का इंटरनेट बंद कर दिया गया और साकची जेल से घाघीडीह जेल के लिए निकलते ही संध्या 7 बजे के करीब इंटरनेट को पुनः बहाल कर दिया गया, आखिर पूरे शहर का नेट बंद करने की जरूरत क्यों पड़ी।

भाजपा नेता पर लगी 18 धाराएं

भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष और धनबाद के संगठन प्रभारी अभय सिंह को पुलिस 11 अप्रैल को सुबह करीब छह बजे घर से दरवाजा तोड़कर गिरफ्तार कर ले गई। जब कार्यकर्ता थाने का घेराव करने लगे, तो थानेदार ने उन्हें धमकी दी कि 10 मिनट में यहां से नहीं गए, तो सबको अंदर कर दिया जाएगा। अभय सिंह पर 18 धाराएं लगाई गई हैं।

क्या बोले दीपक प्रकाश

इस बारे में दीपक प्रकाश ने संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि मैं स्वयं कानून का छात्र रहा हूं, प्राथमिकी में दर्ज विवरण और धाराओं में कोई तालमेल नहीं है। जमशेदपुर में पुलिस और जिला प्रशासन की कार्रवाई आपातकाल जैसी है।

गिरफ्तारी पर क्या बोले सरयू राय

विधायक सरयू राय ने विहिप कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर कहा कि आश्चर्य है कि इनमें से एक अधिवक्ता हैं, जो सीधे कोर्ट से एसएसपी कार्यालय गये थे। एक अपनी मां के श्राद्धकर्म से एक दिन पहले जमशेदपुर लौटा था।
इनमें से कोई दो दिन के भीतर कदमा नहीं गया था लेकिन पुलिस की नजर में वह भी अभियुक्त हो गया। गुहार लगाने वालों पर आर्म्स एक्ट लगा दिया गया, जबकि ये नामजद भी नहीं थे।

अधिवक्ताओं ने गिरफ्तारी के खिलाफ की हड़ताल

इनमें से एक अधिवक्ता चंदन चतुर्वेदी को हथकड़ी लगाने के विरोध में दो दिन तक कलमबंद हड़ताल पर रहे। इस मामले में एसएसपी ने हथकड़ी लगाने वाले सिपाही को निलंबित और एएसआई को शोकाज किया, जिसके बाद अधिवक्ताओं ने हड़ताल समाप्त कर दिया।

दीपक प्रकाश ने अभय सिंह के परिवार से की मुलाकात

दो दिन बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र राय शहर आए। उन्होंने अभय सिंह के स्वजनों से मुलाकात की। दीपक प्रकाश जमशेदपुर के सांसद विद्युत वरण महतो, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. दिनेशानंद गोस्वामी व भाजपा के जमशेदपुर महानगर अध्यक्ष गुंजन यादव के साथ घाघीडीह जेल गए, लेकिन जेल प्रशासन ने इन्हें डेढ़ घंटे तक इंतजार कराने के बाद लौटा दिया। रवींद्र राय ने भी अभय सिंह के स्वजनों से मुलाकात की।

हिंदुओं की ओर से खड़े हुए सरयू राय

इस पूरे प्रकरण में भाजपा से निष्कासित विधायक सरयू राय हिंदुओं की ओर से खड़े दिख रहे हैं। जब अभय सिंह की गिरफ्तारी हुई, सबसे पहले सरयू बिष्टुपुर थाना पहुंचकर उनसे बात की। इसी तरह जमशेदपुर कोर्ट परिसर से जब विहिप कार्यकर्ताओं को जेल भेजा रहा था तो वहां भी सिर्फ सरयू राय मौजूद थे।

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