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शेर तो शेर होता है, भले वह आज जेल में बंद है – बाबूलाल मरांडी

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जमशेदपुर : जनसपंर्क अभियान के तहत जमशेदपुर आये भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी बुधवार को भाजपा नेता अभय सिंह से मिलने घाघीडीह जेल पहुँचे। जहाँ तकरीबन 45 मिनट तक अभय सिंह के साथ समय बिताया। इस दौरान पार्टी कार्यकर्ता मौजूद नहीं थे, जैसा कि हर बार देखने को मिलता था। अभय सिंह से मुलाकात के बाद बाबूलाल मरांडी ने मीडिया से बात की। (जारी…)

बाबूलाल मरांडी से अभय सिंह मामले के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि अभय सिंह की जब गिरफ्तारी हुई थी तो पूरे कोल्हान में इसे लेकर आंदोलन चलाया गया था और मैं उस समय भी अभय सिंह से मिला था और आज भी उनसे मिला हूँ। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि अभय सिंह को राजनीतिक षडयंत्र के तहत फंसाया गया है और यह कार्य सत्ता पर बैठे लोगों द्वारा जानबूझ कर किया गया है। कदमा मामले का जिक्र करते हुए प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि जिस जगह पर व्यक्ति मौजूद ही नहीं था उस जगह में उनका नाम जोड़ कर उन्हें जेल में बंद करना और फिर किसी पुराने मामले में नाम जोड़कर प्रोडक्शन लगाना साफ तौर पर राजनीतिक साजिश दिख रही है और जमशेदपुर का बच्चा बच्चा जानता है कि अभय सिंह को फँसाया गया है। (जारी…)

उन्होंने कहा कि कुछलोग जानते हैं कि अभय सिंह बाहर आ गए या बाहर रहें तो उनकी राजनीतिक दुकान बंद हो जाएगी और जिन्हें इस तरह का डर होता है वही ऐसे हथकंडे अपनाते है कि झूठे मामले डालकर जेल में बंद कर दो, उन्हें परेशान करो, लेकिन मैं अभी अभी सिंह से मिला हूँ भले वह जेल में आज बंद हैं लेकिन शेर तो शेर ही होता है। जब शेर फिर जंगल में आएगा तो सामान्य रूप से समाज के प्रति अपने कार्यों को करेगा। (जारी….)

अभय सिंह मामले में पार्टी में एकजुटता नहीं दिखने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है, पूरी पार्टी अभय सिंह के साथ पहले भी थी और आज भी है। अभय सिंह की गिरफ्तारी के विरोध में पूरे कोल्हान भर में आंदोलन हुआ और पूरी पार्टी उसमें सम्मिलित थी। अब कभी कोई किसी कार्य के चलते कहीं रहे और सम्मिलित नहीं हो पाए तो यह एक अलग बात होती है लेकिन पार्टी में एकजुटता है और पूरी पार्टी अभय सिंह के साथ है।
जमशेदपुर में भाजपा के अंदर गुटबाजी की बात पर बाबूलाल मरांडी ने कहा कि गुटबाजी वाली कोई बात नहीं है, हाँ किसी की कोई नाराज़गी हो सकती है और जब घर बड़ा होता है तो थोड़ी बहुत ऐसी बातें होती हैं, इसे गुटबाजी नहीं कहा जाना चाहिए।

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