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11 लाख छात्रों को स्टाइपेंड भुगतान मामला गर्माया, राशि भुगतान को लेकर राजनीति हलचल

छात्रों के स्टाइपेंड के मामले ने तूल पक़ड़ लिया है। लाखों छात्रों को अब तक राशि का भुगतान नहीं किया गया है। जानकारी के मुताबिक केंद्र से समय पर फंड नहीं मिलने के कारण राज्य लगभग 11 लाख ओबीसी विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति का भुगतान नहीं कर पा रहा है। तकनीकी प्रावधानों, नई केंद्रीय प्रक्रिया और विभागीय उलझनों के कारण समस्या और गंभीर हो गई है।

इस बीच राज्य सरकार अब केंद्र से औपचारिक रूप से हस्तक्षेप और फंड रिलीज की मांग करने की तैयारी में है। एक तरफ छात्रों में भारी नाराजगी है, वहीं दूसरी ओर विधानसभा से लेकर सड़क तक इस मुद्दे पर सियासत गर्म है। राज्य में लगभग 11 लाख ओबीसी विद्यार्थी पिछले कई महीनों से छात्रवृत्ति के इंतजार में हैं, लेकिन वित्तीय और तकनीकी उलझनों के कारण इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हो पा रही है।

इधर, विपक्ष के लगातार सवालों और दबाव के बीच कल्याण विभाग की स्थिति ‘सांप–छछूंदर’ जैसी हो गई है। विभाग के अधिकारियों के अनुसार इस वर्ष प्री-मैट्रिक ओबीसी छात्रों के लिए केंद्र से प्राप्त 4 करोड़ रुपये भी वापसी की कगार पर है, क्योंकि निर्धारित समय सीमा में उसका उपयोग नहीं हो पाया। अब राज्य सरकार को नए सिरे से केंद्र को फंड की मांग भेजनी होगी।

नियमों के अनुसार जब तक केंद्र की हिस्सेदारी राज्य को प्राप्त नहीं होती, वित्त विभाग राज्य मद से भुगतान नहीं कर सकता। ऐसे में बजट होने के बावजूद राशि जारी नहीं की जा सकती और छात्रवृत्ति की प्रक्रिया ठप पड़ी रहती है। यही वजह है कि लाखों छात्र वित्तीय सहायता से वंचित हैं।

आदिवासी कल्याण मंत्री चमरा लिंडा ने कहा कि राज्य केंद्र से जल्द बैठक कर इस समस्या के समाधान की मांग करेगा। उन्होंने कहा कि “जब तक केंद्र का इंटेंशन क्लियर नहीं होगा, तब तक हम आगे नहीं बढ़ सकते। हमारे पास बजट है, लेकिन केंद्र का हिस्सा आए बिना दरवाजा खुल नहीं सकता।”

मंत्री लिंडा ने यह भी स्पष्ट किया कि कक्षा 1 से 8 तक की छात्रवृत्ति में कोई समस्या नहीं है, क्योंकि यह पूर्ण रूप से राज्य सरकार के दायरे में आती है और इसका 70 प्रतिशत भुगतान पहले ही किया जा चुका है। असली दिक्कत वहीं होती है जहां केंद्र–राज्य हिस्सेदारी होती है, खासकर 50–50 या 60–40 फॉर्मूले वाली योजनाओं में।

इसके साथ ही मंत्री ने केंद्र की नई प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए। पहले केंद्र राशि सीधे राज्य को भेज देता था, लेकिन अब राज्य द्वारा मांग किए जाने के बाद ही फंड उपलब्ध कराया जाता है। यह नई व्यवस्था प्रशासनिक देरी को और बढ़ा देती है। मंत्री ने कहा कि “नई प्रक्रिया से कई समस्याएं हल हो सकती हैं, लेकिन मांग भेजने से लेकर स्वीकृति मिलने तक की देरी छात्रों पर सीधा असर डाल रही है।”

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