उन्होंने उल्लेख किया है कि वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए राज्य के सभी 24 जिलों में कुल मिलाकर 9,20,245 कंबल की आपूर्ति का आदेश ओम शक्ति टेक्सटाइल्स, पानीपत, हरियाणा और बिहारी लाल चौधरी ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड, धनबाद को दिया गया है।
‘कंबल निविदा की शर्तों के अनुरूप नहीं’
सरयू राय के मुताबिक, जो सूचनाएं प्राप्त हो रही हैं, उसके अनुसार कंबलों की गुणवत्ता निविदा की शर्तों के अनुरूप नहीं है। निविदा शर्तों के अनुसार सभी कंबल पावरलूम नहीं, हैंडलूम द्वारा निर्मित होने चाहिए, लेकिन वितरित किए जा रहे कंबल पावरलूम से निर्मित हैं।
‘कंबलों में ऊन की मात्रा भी ठीक नहीं’
निविदा शर्तों में यह भी है कि कंबल में 70 प्रतिशत ऊन के धागे होना चाहिए और बाकी 30 प्रतिशत सिंंथेटिक धागा होना चाहिए। इस कसौटी पर भी कंबल खरा नहीं उतर पा रहे हैं। अधिकांश कंबलों में ऊन की मात्रा 35 प्रतिशत से 40 प्रतिशत के बीच होने की शिकायत मिल रही है।
शेष सिंथेटिक धागा पालिएस्टर का होना चाहिए और धागा नया होना चाहिए, परंतु वितरित किए जा रहे कंबलों में पालिएस्टर का नहीं बल्कि पुराने कपड़ों का धागा लगाया गया है। धुलाई के बाद कंबल का वजन न्यूनतम दो किलोग्राम होना चाहिए, परंतु इसमें भी कमी दिखाई पड़ रही हैं।
सिर्फ 10 प्रतिशत कंबल गुणवत्ता के अनुरूप
सरयू राय ने पत्र में जिक्र किया है गुणवत्ता में सुधार के लिहाज से एक कंबल का मूल्य पिछले वर्ष के मूल्य से 75 से 100 रुपये अधिक रखा गया है। इसके बावजूद निविदा की शर्तों का अनुपालन आपूर्तिकर्ताओं द्वारा नहीं किए जाने के कारण गुणवत्ता से समझौता हुआ है।
आपूर्तिकर्ताओं द्वारा दो तरह के कंबलों की आपूर्ति की जा रही है। 10 प्रतिशत कंबल निविदा शर्तों के अनुरूप हैं और बाकी 90 प्रतिशत कंबल निविदा के शर्तों के अनुरूप नहीं है। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि जांच की प्रक्रिया में इन्हीं 10 प्रतिशत कंबलों के नमूने के आधार पर जांच पूरी कर ली जाए।