गढ़वा : राहुल गाँधी के भारत जोड़ो न्याय यात्रा स्थगित होने के बाद गढ़वा जिले के रंका हाई स्कूल के मैदान में राष्ट्रीय मनरेगा जनसुनवाई का आयोजन किया गया. मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश और कन्हैया कुमार मौजूद रहे. मौके पर उन्होंने कहा कि मोदी सरकार मनरेगा को मारना चाहता है. कार्यक्रम में झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान राज्यों से मनरेगा मजदूरों, गैर-पार्टी ट्रेड यूनियन, जन संगठन और ज़मीनी स्तर के जन आन्दोलनों से जुड़े कार्यकर्ताओ ने हिस्सा लिया. जनसुनवाई में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश और युव नेता कन्हैया कुमार मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए.
अलग-अलग राज्यों से आये हुए 20 से अधिक मज़दूरों ने अपने इलाकों में मनरेगा से संबंधित समस्याओं और चुनौतियों को जनता के समक्ष रखा लातेहार के मज़दूर महावीर परहैया ने बताया कि पिछले दो सालों से उनके गाँव में नियमित रूप से मनरेगा में काम नहीं मिल रहा है. काम का भुगतान भी समय पर नहीं हुआ. बिहार के कटिहार की फूल कुमारी का कहना था कि यहाँ अगर 76 लोग काम की मांग करते हैं तो मुश्किल से 7 लोगों को काम मिलता है. छत्तीसगढ़ से भोलू पंडो और सेवक लकड़ा का कहना है कि मनरेगा आने से उनके जीवन में क्रांतिकारी बदलाव आये लेकिन पिछले 10 सालों से लगातार बजट की कटौती और मोबाइल हाज़िरी की वजह से मनरेगा में काम करना बहुत मुश्किल होता जा रहा है.
जन सुनवाई में जयराम रमेश ने मनरेगा कानून के पीछे के संघर्ष को याद किया तथा इसके उद्देश्यों को रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि मौजूदा केंद्र सरकार पारदर्शिता के नाम पर मनरेगा में अनावश्यक तकनीकी जटिलता ला रही है, जिससे लोगों के काम के अधिकार का हनन हो रहा है. असल में सरकार का मुख्य उद्देश्य मनरेगा को ख़त्म करना है. यह भी कहा कि राजस्थान के बाद झारखण्ड दूसरा राज्य हो सकता है जहाँ शहरी रोज़गार गारंटी लागू होना चाहिए. उन्होंने इस बात पर ज़ोर डाला कि जन प्रतिनिधियों का कर्त्तव्य है की ऐसे जन सुनवाई में भाग लें. ज़मीनी सच्चाई पर नज़र रखते हुए नीतियों को लोकतांत्रिक तरीके से पारित करें. जन सुनवाई के दौरान युवा नेता कन्हैया कुमार ने कहा कि इस देश को मज़दूरों ने बनाया है और मज़दूरों के बिना देश एक कदम भी नहीं चल सकता. उन्होंने यह भी कहा कि गारंटी शब्द देश के श्रमिक आंदोलन से निकला हुआ है. अगर मौजूदा केंद्र सरकार पूंजीपति के 14 लाख करोड़ का कर्ज़ माफ़ कर सकती है तो उसे मनरेगा मज़दूरों का काम और मज़दूरी की गारंटी सुनिश्चित करना होगा. मशहूर अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने नरेगा मज़दूरों द्वारा बनाये गए तालाब से एक मछली दिखाते हुए जयराम रमेश से कहा कि मनरेगा ऐसा निवेश है जो ग्रामीण गरीबों के बीच समृद्धि लेकर आया. मनरेगा संघर्ष मोर्चा और झारखण्ड मनरेगा वॉच की तरफ से बलराम और जेम्स हेरेंज ने मांग पत्र सामने रखा.
नरेगा का मज़दूरी दर 800 रुपया होना चाहिए. केंद्र सरकार पर दबाव डाला जाये नरेगा कानून के अनुसार 15 दिन के भीतर मज़दूरी का भुगतान हो. केंद्र सरकार को स्वराज अभियान केस में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए लंबित भुगतान का मुआवज़ा भरना चाहिए. भुगतान के लिए आधार आधारित भुगतान प्रणाली (ABPS) को अनिवार्य न करें. नरेगा में डिजिटल हाज़िरी (NMMS) को तत्काल बंद किया जाये. सामाजिक अंकेक्षण के लिए पर्याप्त बजट का आवंटन हो और सामाजिक अंकेक्षण विभाग के स्वायत्तता को कायम रखा जाए. हर काम के सामाजिक अंकेक्षण में ग्राम सभा के समक्ष, समस्त जानकारी को रखते हुए CAG के नियामवली के अनुसार किया जाए. मनरेगा कानून के धारा 27 के नाम पर पश्चिम बंगाल के नरेगा मज़दूरों के साथ हो रहे अन्याय को रोका जाए. धारा 27 का संशोधन हो ताकि दूसरे राज्यों के साथ इस तरह का अन्याय न हो.
कार्यक्रम में झारखंड के मंत्री आलमगीर आलम, गढ़वा विधायक मिथिलेश ठाकुर, पूर्व मंत्री बन्ना गुप्ता, पूर्व मंत्री रामेश्वर उरांव, बंधु तिर्की, बड़कागाँव विधायक अंबा प्रसाद, पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी, विधायक अनूप सिंह, पूर्व मंत्री बादल पत्रलेख, झारखंड प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मी,र प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर, मनिका विधायक रामचंद्र सिंह सहित काफ़ी संख्या में कांग्रेसी मौजूद थे.