रांची: झारखंड में कुर्मी-आदिवासी विवाद के चलते 20 सितंबर को राज्य में तनावपूर्ण स्थिति पैदा हो सकती है। कुर्मी समुदाय अपनी लंबे समय से चली आ रही जनजातीय दर्जा (Scheduled Tribe Status) की मांग को लेकर राज्यव्यापी रेल रोको आंदोलन की तैयारी कर रहा है, जबकि आदिवासी संगठनों ने उसी दिन विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है।
कुर्मी नेताओं का कहना है कि ऐतिहासिक और सामाजिक आधार पर उनकी मांग न्यायसंगत है। इसी वजह से उन्होंने 20 सितंबर को रेल रोको आंदोलन बुलाया है। दूसरी ओर, आदिवासी संगठन इसे तर्कहीन बताते हुए आगाह कर रहे हैं कि यदि कुर्मी समुदाय को जनजातीय दर्जा मिल गया तो वास्तविक आदिवासी समुदाय के अधिकार और आरक्षण प्रभावित होंगे।
आदिवासी विरोध आंदोलन का नेतृत्व लक्ष्मी नारायण मुंडा करेंगे। इसमें झारखंड के अलावा उड़ीसा, छत्तीसगढ़, बिहार और पश्चिम बंगाल से भी बड़े आदिवासी नेता और कार्यकर्ता शामिल होंगे। आदिवासी संगठन राज्यपाल संतोष गंगवार को ज्ञापन सौंपकर अपने दावों के समर्थन में साक्ष्य प्रस्तुत करेंगे और कुर्मी समुदाय की मांग को अनुचित साबित करने का प्रयास करेंगे।
विशेषज्ञों का कहना है कि कुर्मी और आदिवासी संगठनों के आमने-सामने आने से राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है। 20 सितंबर को दोनों विरोध-प्रदर्शन के बीच शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करना प्रशासन की प्राथमिकता होगी।
