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ममता से लेकर अखिलेश तक कर रहें वार, फिर भी खामोश कांग्रेस, क्या है चुनावी माजरा

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नई दिल्ली : काँग्रेस मुश्किल में फंस गई है। इंडियन नेशनल डेवलेपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (INDIA) के घटकदल लगातार हमलावर हैं, पर पार्टी चुप है। भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान तृणमूल कांग्रेस ने तगड़ा झटका दिया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कांग्रेस पर निशाना साधने का कोई मौका नहीं छोड़ रही। समाजवादी पार्टी का तेवर भी तल्ख है। कई दौर की चर्चा के बावजूद सीट बंटवारे को लेकर सहमति नहीं बन पाई है।

ऐसे में यह सवाल लाजिमी है कि घटकदलों के कड़े तेवरों के बावजूद कांग्रेस शांत क्यों है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सीधे कांग्रेस नेतृत्व को चुनौती दे रही हैं, पर पार्टी खामोश है। पश्चिम बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी पलटवार कर रहे हैं, पर केंद्रीय नेतृत्व चुप है। समाजवादी पार्टी के सख्त तेवरों का जवाब भी यूपी कांग्रेस दे रही है। चुनाव से ठीक पहले घटकदलों के आक्रामक तेवरों के बावजूद कांग्रेस लगातार चुप्पी साधे हुए है।

रणनीति का हिस्सा

कांग्रेस का नरम रुख उसकी रणनीति का हिस्सा है। पार्टी चाहकर भी घटकदलों के सख्त बयानों का जवाब नहीं दे सकती। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस तरह के बयान देकर हमें उकसाने की कोशिश कर रही हैं। ताकि, हम कोई प्रतिक्रिया दें और तृणमूल कांग्रेस को INDIA गठबंधन से अलग होने का मौका मिल जाए। हम ऐसी गलती नहीं करेंगे।

उम्मीद कायम

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी भी कुछ ऐसी ही कोशिश कर रही है। पार्टी नेता ने कहा कि सीट बंटवारे को लेकर पार्टियां एक-दूसरे पर दबाव बनाने की कोशिश करती है। सभी पार्टियां चाहती है कि गठबंधन में उसे ज्यादा से ज्यादा सीट मिले। यह सवाल किए जाने पर कि क्या अभी पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में गठबंधन की संभावना बरकरार है। उन्होंने कहा कि जब तक तृणमूल कांग्रेस INDIA गठबंधन का हिस्सा है, उम्मीद बरकरार है।

जल्दबाजी नहीं

पार्टी नेता मानते हैं कि तृणमूल कांग्रेस पर इस तरह के बयान देने के लिए जांच एजेंसियों की तरफ से दबाव भी हो सकता है। ऐसे में कांग्रेस के लिए जल्दबाजी में कोई प्रतिक्रिया देना गलत होगा। कांग्रेस नेता ने कहा कि जब तक मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद INDIA गठबंधन से अलग होने की घोषणा नहीं करती हैं, तब तक हम उन्हें INDIA गठबंधन का हिस्सा मानते हैं। इसलिए, पार्टी तृणमूल के सख्त रवैये के बावजूद नरम रुख अपनाएं हुए हैं।

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