पांच हजार करोड़ रुपये के जीएसटी घोटाले के दो आरोपियों अमित गुप्ता और सुमित गुप्ता को जमशेदपुर जीएसटी इंटेलिजेंस की टीम ने कोलकाता से गिरफ्तार किया है। उन्हें लेकर टीम मंगलवार को जमशेदपुर पहुंची। उन्हें एमजीएम अस्पताल में जांच के बाद न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। दोनों सगे भाई हैं। इससे पहले भी पुलिस ने जीएसटी घोटाले में दो और लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। इसी कड़ी में दोनों की गिरफ्तारी की गई है।
पांच हजार करोड़ का घोटाला
इन दोनों भाइयों की गिरफ्तारी कोलकाता के साल्ट लेक से की गई, जहां दोनों रहते हैं। सीबीडीटी के अधीन काम करने वाली जीएसटी इंटेलिजेंस की टीम ने उनको आवास से पकड़ा। बताया जाता है कि कुल घोटाला पांच हजार करोड़ का है, जिसमें से तीन हजार का घोटाला इनलोगों ने किया है और करीब 522 करोड़ के घोटाले की बात इन लोगों ने स्वीकार की है।
चीन भागने की थी तैयारी
जीएसटी इंटेलिजेंस विभाग के अधिकारी ने बताया कि दोनों जुड़वां भाई चीन भागने की तैयारी में थे। इसकी सूचना मिलने के बाद जमशेदपुर से एक टीम कोलकाता पहुंची और स्थानीय पुलिस के साथ दोनों को पकड़ लिया। इससे पहले इसी तरह के घोटाले में शिव कुमार देवड़ा और विक्की भालोटिया को गिरफ्तार किया गया था। उनसे पूछताछ के दौरान इन दोनों जुड़वां भाइयों का नाम सामने आया। ये दोनों भाई एक ही फ्लैट में रहते थे और अलग-अलग फ्लोर पर रहकर अपना सिंडिकेट चलाते थे।
शहर में100 से ज्यादा फर्जी कंपनी बनाई
जमशेदपुर जीएसटी इंटेलिजेंस की टीम ने जब विभिन्न कंपनियों के जीएसटी की जांच की तो पाया कि कुछ स्रोतों से एक ही कंपनी से माल का लगातार आदान-प्रदान किया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो उसके बाद जांच की गई तो पता चला कि वह सभी फर्जी कंपनियां हैं, जिन्हें जीएसटी घोटाला के लिए ही सृजित किया गया। जांच में पाया कि जमशेदपुर में कई ऐसी कंपनियां हैं, जिनमें फर्जी तरीके से लेन-देन किया जा रहा है। जांच में पाया गया कि 100 से ज्यादा कंपनियां ऐसी हैं, जिसमें फर्जी तरीके से लेनदेन हो रहा है। अबतक तीन हजार करोड़ से ज्यादा के लेन-देन सामने आए हैं।
150 करोड़ का घोटाला बढ़ता गया
जांच टीम के अनुसार, पहले 150 करोड़ रुपये से ज्यादा का जीएसटी घोटाला सामने आया। इसके बाद एक टीम का गठन किया गया, जिसमें सीनियर इंटेलिजेंस ऑफिसर रोशन कुमार मिश्रा, इंटेलिजेंस ऑफिसर दिनेश कुमार, राजीव रंजन और राजेश कुमार शामिल थे। इसी टीम ने अमित गुप्ता और सुमित गुप्ता को कोलकाता से गिरफ्तार किया और दावा किया कि जीएसटी घोटाले का यह आंकड़ा 5000 करोड़ तक जा सकता है।
शिव कुमार देवड़ा से 26 फरवरी को मिला था सुराग
जीएसटी घोटाले में इंटेलिजेंस ऑफिसर दिनेश कुमार ने मंगलवार को जमशेदपुर के फाइनेंशियल अदालत में एक नया केस दर्ज किया है। कोलकाता से गिरफ्तार अमित और सुमित के खिलाफ सूचना 26 फरवरी 2024 को गिरफ्तार किए गए शिव कुमार देवड़ा से मिली थी। फर्जी कंपनियों के विरुद्ध चल रही जांच के तहत जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (डीजीजीआई) जमशेदपुर ने पूरे भारत में सक्रिय सिंडिकेट को उजागर किया। इससे सरकार को बड़े पैमाने पर राजस्व क नुकसान हो रहा था।
वास्तविक आपूर्ति के बिना बनाते थे नकली चालान
नई एफआईआर के बारे में विभागीय अधिवक्ता संजय रंजन बरियार ने बताया कि कुछ महीने पहले डीजीजीआई ने दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया था, जो फर्जी फर्म व कंपनियां स्थापित करने, विभिन्न विनिर्माण कंपनियों और व्यापारियों को कमीशन के आधार पर किसी भी सामान या सेवाओं की वास्तविक आपूर्ति के बिना नकली चालान बनाने व जारी करने और प्रसारित करने में शामिल थे। परिणामस्वरूप 200 करोड़ रुपये से अधिक की कर चोरी हुई। फर्जी कंपनियों की शृंखला के सत्यापन, निगरानी, प्रमुख व्यक्तियों पर नज़र रखने और खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के लिए डेटा विश्लेषण से इस फर्जीवाड़े के पीछे के मास्टरमाइंड की पहचान और धरपकड़ हुई और यह सामने आया कि ऐसा सिंडिकेट कोलकाता से संचालित हो रहा है।
15 हजार में फंसाते थे लोगों को
गिरफ्तार दोनों आरोपी गरीब पृष्ठभूमि के लोगों को महज दस से पंद्रह हजार रुपये वेतन वाली नौकरी की पेशकश कर फंसाते थे और फर्जी जीएसटीआईएन के बिना उनकी जानकारी के उनके आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि का दुरुपयोग कर करते थे। जीएसटी के फर्जी चालान के माध्यम से फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट प्राप्त करते थे। इससे पहले जब शिव कुमार देवड़ा को गिरफ्तार किया तो उस समय अमित गुप्ता ने से बचने के लिए बैंकॉक (थाईलैंड) भाग गया था। अब तक की जांच से यह सामने आया है कि इनके द्वारा 90 से अधिक फर्जी कंपनियां स्थापित की गईं, जिसके परिणामस्वरूप बड़ी मात्रा में करीब 3000 करोड़ रुपये से अधिक का फर्जी लेनदेन हुआ। इसमें लगभग 522.91 करोड़ रुपये की कर चोरी पकड़ी गई है।
चार मास्टरमाइंड भेजे गए जेल
अबतक जीएसटीआईएन की शृंखला में चार मास्टरमाइंड व प्रमुख व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है। करीब 5000 करोड़ रुपये से अधिक के फर्जी लेनदेन पाया गया है। इन फर्जी कंपनियों के माध्यम से करीब 725 करोड़ रुपये की कर चोरी का पर्दाफाश हुआ है। यह अबतक का देश का सबसे बड़ा सिंडिकेट है।