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लोकलुभावन हो सकता है चुनावी बजट, जानें क्या-क्या राहत दे सकती है मोदी सरकार?

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एक फरवरी को देश का अंतरिम बजट पेश होना है। देश में कुछ महीनों बाद ही लोकसभा के चुनाव होने हैं।

ऐसे में माना जा रहा है कि यह बजट मतदाताओं को लुभाने वाला होगा। चुनाव से पहले का आखिरी बजट ऐसा होगा जिससे राजकोषीय घाटा कम हो और समाज के सभी वर्गों को साधने की कोशिश हो सकती है। किसनों, युवाओं, महिलाओं और गरीबों पर पर्याप्त ध्यान देने से बनियादी ढ़ांचे पर भी उतना खर्च कर पाना मुश्किल होगा।

बजट को लोकलुभावन बनाने में विकास की बातों से समझौता करना पड़ सकता है। ऐसे में देखना होगा कि यह बजट दूरगामी परिणामों को देखकर बनाया जाता है या कुछ अलग होने वाला है। अर्थव्यवस्था का विकास तेज गति से हो रहा है। ऐसे में सरकार की कमाई भी बढ़ी है। कई अर्थशास्त्री खर्च बढ़ने की उम्मीद न करें। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने पहले ही कह दिया है कि बजट में कोई बड़ा ऐलान नहीं होगा।

क्या कहना है जानकारों का

इकोनॉमिक टाइम्स ने ब्लूमबर्ग इकोनॉमिक्स के अभिषेक गुप्ता की एक रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि सरकार पर आने वाले चुनावों में लोकलुभावन कदम उठाने का दबाव कम होगा। एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड की अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने कहा है कि राजकोषीय समेकन की गति और आगे की नीतिगत प्राथमिकताओं पर नजर रखी जा सकती है।

सरकार राजकोषीय घाटा लगातार कम कर रही है ताकि खर्च कंट्रोल में रहे। ब्लूमबर्ग द्वारा सर्वे किए गए अर्थशास्त्रियों के अनुसार, मार्च में समाप्त होने वाले चालू वित्तीय वर्ष के लिए 5.9 प्रतिशत घाटे का लक्ष्य पूरा हो सकता है और अगले वित्तीय वर्ष में इसे और कम करके 5.3% कर दिया जाएगा।

पेश होगा अंतरिम बजट

कुछ ही महीनों में लोकसभा के चुनाव होने हैं। इस वजह से इस साल पूरे साल का बजट नहीं बल्कि अंतरिम बजट पेश किया जाएगा। क्या आपको पता है कि अंतरिम बजट क्या होता है और यह रेग्युलर बजट या आम बजट से अलग कैसे है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को देश का अंतरिम बजट पेश करेंगी। चुनावी साल में सरकार शुरू के कुछ महीनों का ही बजट पेश करती है जिसे अंतरिम बजट कहा जाता है। यह आम बजट से कई मायनों में अलग होता है।

क्या है अंतरिम बजट का मकसद

चुनाव जब खत्म हो जाता है तब नई सरकार पूर्ण बजट पेश करती है। इसकी वजह यह है कि चुनावी साल में सरकार पूरे साल का बजट पेश करेगी तो कई ऐसे ऐलान कर सकती है जिससे उसे चुनाव में फायदा हो। अंतरिम बजट का मकसद सरकार का वित्त प्रबंधन करना है। इसे वोट ऑन अकाउंट के रूप में जाना जाता है। इसका मतलब है कि अप्रैल और मई में कितना पैसा खर्च होगा उसका सरकार पहले ही अनुमान बता देगी और उसे एडवांस में ही सरकार को दे दिया जाएगा। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि इन दो महीनों में सरकार के पास खर्च करने के लिए पैसे की कमी न हो।

नई सरकार पेश करती है पूर्ण बजट

अंतरिम बजट में सिर्फ वित्तीय वर्ष के शुरुआती महीनों के खर्चे ही कवर होते हैं। एक अप्रैल से नए वित्तवर्ष की शुरुआत होती है और यह 31 मार्च तक चलता है। मई और जून के बीच सरकार पूर्ण बजट पेश कर सकती है। चूंकि चुनाव इसबार इसबार मई-जून में होने हैं, इस वजह से सिर्फ अप्रैल और मई के लिए बजट पेश होगा। चुनावी साल में सरकार और मंत्रियों के बदलने की संभावना की वजह से भी सिर्फ 2 या तीन महीने का डेटा दिया जाता है। नई सरकार बनने के बाद एक पूर्ण बजट तैयार होगा।

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