नई दिल्ली: हवा में उड़ते फाइटर जेट से जब पायलट की जान खतरे में होती है, तो उसे चंद सेकंड में सुरक्षित बाहर निकालने वाला ‘एस्केप सिस्टम’ ही उसका आखिरी भरोसा होता है। हाल ही में दुबई में भारत का स्वदेशी फाइटर जेट क्रैश हो गया था, जिसमें पायलट की मौत हो गई थी।
पायलट की मौत की वजह प्लेन से इजेक्ट न हो पाना बताया जाता है। अब रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने एक ऐसा ही डायनामिक परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया है, जिसने भारत को दुनिया के उन चुनिंदा देशों की कतार में खड़ा कर दिया है जो खुद ही इतनी जटिल तकनीक को परख सकते हैं। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने स्वदेशी फाइटर जेट एस्केप सिस्टम विकसित किया है, जो डेवलपिंग फेज में चल रहे लड़ाकू विमानों में लगाए जाएंगे, जिसमें तेजस मार्क-2 और AMCA है। DRDO ने फाइटर एयरक्राफ्ट एस्केप सिस्टम का हाई-स्पीड रॉकेट स्लेज टेस्ट मंगलवार को सफलतापूर्वक किया।
यह पूरा परीक्षण चंडीगढ़ की रेल ट्रैक रॉकेट स्लेड (RTRS) सुविधा में किया गया। लड़ाकू विमान के अगले हिस्से (फोरबॉडी) को एक दोहरी स्लेड प्रणाली पर रखकर कई शक्तिशाली रॉकेट मोटरों की मदद से 800 किलोमीटर प्रति घंटा की सटीक नियंत्रित गति तक दौड़ाया गया।
इस हाई-स्पीड रन के दौरान कैनोपी विच्छेद यानी पायलट के ऊपर का कवर हटाना और इजेक्शन सीक्वेंसिंग यानी पायलट सीट का बाहर निकलना सफलतापूर्वक काम किया। पूरा सिस्टम पायलट (डमी) को विमान से बाहर निकालकर सुरक्षित रिकवर करने में 100% सफल रहा।
DRDO ने यह उपलब्धि एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के सहयोग से हासिल की। इस सफलता के बाद, भारतीय पायलटों की सुरक्षा अब स्वदेशी रूप से विकसित और उच्च मानकों पर परखे गए सिस्टम के हाथों में है।
