झारखण्ड न्यूज़ डेस्क, पूर्वी सिंहभूम के पूर्व सिविल सर्जन डॉ अरविंद कुमार लाल की बर्खास्तगी को रद्द करते हुए हाईकोर्ट ने उने पुन बहाल करने का आदेश सरकार को दिया है. जस्टिस आर मुखोपाध्याय की अदालत ने डॉ. लाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया.
छह साल तक विभागीय कार्रवाई के बाद डॉ. लाल को वर्ष 2022 में बर्खास्त कर दिया गया था. इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी.
सुनवाई के दौरान डॉ लाल का पक्ष रखते हुए वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार व अपराजिता भारद्वाज की ओर से अदालत को बताया गया कि प्रार्थी पर नौकरी में रहते हुए चुनाव लड़ने का आरोप लगाते हुए विभागीय कार्रवाई के बाद बर्खास्त कर दिया गया. आरोप है कि वर्ष 1995, 2001 और 2005 में बिना पद छोड़े ही विधानसभा का चुनाव लड़ा था. इसके लिए वर्ष 2016 में उन्हें शो कॉज जारी किया गया. विभागीय कार्रवाई में 21 साल की देरी का भी कोई कारण नहीं बताया गया. प्रार्थी ने कहा कि उन्होंने 1995 और 2001 में कोई चुनाव नहीं लड़ा है. जहां तक 2005 की बात है, तो उन्होंने चुनाव से पहले अपना त्याग पत्र दिया था.
छह साल तक चली विभागीय कार्रवाई
उनके त्यागपत्र पर क्या निर्णय लिया गया, इसके बारे में उन्होंने विभाग से कई बार जानकारी मांगी थी. लेकिन उन्हें कोई दस्तावेज नहीं दिया गया. छह साल तक चली विभागीय कार्रवाई के दौरान संचालन पदाधिकारी ने भी बिहार सरकार और स्वास्थ्य विभाग से दस्तावेज मांगे थे, लेकिन उन्हें उपलब्ध नहीं कराया गया. इसके बाद अचानक उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था.
हाईकोर्ट के फैसले पर जमशेदपुर आईएमए ने खुशी जाहिर की है. एसोसिएशन के सचिव डॉ. सौरभ चौधरी ने कहा कि फैसले से चिकित्सक समुदाय में खुशी है.
कुछ विधायकों को यह समझने की जरूरत है कि राजनीतिक लड़ाई और महत्वाकांक्षा के लिए डॉक्टर को बलि का बकरा बनाना गलत है.
यह है मामला
डॉ. एके लाल पर नौकरी में रहते बिहार के झंझारपुर से विधानसभा से चुनाव लड़ने का आरोप था. मामला 2005 का है. शिकायत के बाद अक्तूबर 2014 से जांच शुरू हुई. 2022 में जिले के प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. लाल को बर्खास्त कर दिया गया. डॉ. एके लाल के मुताबिक, चुनाव में नामांकन के साथ नौकरी से त्यागपत्र की जानकारी दी थी, लेकिन त्यागपत्र मंजूर नहीं हुआ और नाम वापसी का समय गुजर चुका था. इससे नामांकन के बावजूद चुनाव प्रचार व अन्य प्रक्रिया से दूर रहे थे. बर्खास्तगी के बाद डॉ. एके लाल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की. डॉ. लाल फिलहाल रिटायर हो चुके हैं.