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एमजीएम अस्पताल में 600 कर्मचारियों की बायोमीट्रिक जांच शुरू, ड्यूटी से गायब रहने वालों पर गिरेगी गाज

कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में लंबे समय से बनी अव्यवस्थाओं को सुधारने के लिए जिला प्रशासन ने अब सख्त रुख अख्तियार कर लिया है।

उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी ने अस्पताल में तैनात लगभग 600 कर्मचारियों, जिनमें डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, तकनीकी कर्मी, वार्ड बॉय और सफाई कर्मचारी शामिल हैं, की बायोमिट्रिक अटेंडेंस आईडी तलब की है।

शिकायतों के अंबार के बाद प्रशासन ने कसा शिकंजा

इस कदम से पूरे अस्पताल परिसर में हड़कंप की स्थिति है और सभी कर्मचारी खुद को जांच के दायरे में महसूस कर रहे हैं। बीते कई महीनों से मरीजों, परिजनों और संस्थान से जुड़े विभिन्न स्रोतों से लगातार शिकायतें मिल रही थीं।

एमजीएम से कई डॉक्टर ड्यूटी समय में अस्पताल में मौजूद नहीं रहते, ओपीडी नियत समय पर शुरू नहीं होती, इमरजेंसी में मरीजों को समय पर चिकित्सक नहीं मिलते। वार्डों में नियमित राउंड नहीं लगाए जाते। कुछ डॉक्टरों पर यह आरोप भी लग रहा है कि वे ड्यूटी के समय निजी प्रैक्टिस में ज्यादा सक्रिय रहते हैं।

बायोमिट्रिक से खुलेगी हर कर्मचारी की हकीकत

बायोमीट्रिक अटेंडेंस सिस्टम लागू होने के बाद एमजीएम का हर कर्मचारी, चाहे वह डॉक्टर हो या सफाईकर्मी, रियल टाइम डिजिटल निगरानी के दायरे में होगा। इससे स्पष्ट रूप से पता चलेगा कि कौन समय पर आता है, कौन देर से पहुंचता है, कौन बिना सूचना के गायब रहता है और किसने कितने घंटे का कार्य किया।

बायोमीट्रिक सिस्टम के चलते अब न तो रजिस्टर में मनमर्जी से हाजिरी दर्ज की जा सकेगी और न ही किसी दूसरे कर्मचारी से उपस्थिति दर्ज करवाने की कोई गुंजाइश बचेगी। प्रत्येक शिफ्ट की रिपोर्ट सीधे प्रशासन तक पहुंचेगी, जिससे ड्यूटी की वास्तविक स्थिति सामने आएगी।

एमजीएम अस्‍पताल के 600 कर्मचारियों की सतत निगरानी

एमजीएम में लगभग 600 कर्मी कार्यरत हैं। पहली बार ऐसा हो रहा है कि अस्पताल के सभी विभागों के डॉक्टर, नर्स, तकनीशियन, पैरामेडिकल स्टाफ, वार्ड बॉय, सफाईकर्मी को एक साथ डिजिटल अटेंडेंस मॉनिटरिंग में शामिल किया गया है।

प्रशासनिक स्तर पर अलग-अलग विभागों का विश्लेषण भी किया जाएगा, ताकि यह पता लगाया जा सके कि किस विभाग में सबसे अधिक अनुपस्थिति है। कहां स्टाफ की वास्तविक कमी है और कहां केवल कागजों में संख्या पूरी दिखायी जा रही है।

मरीजों को मिलेगा सीधा लाभ

प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार बायोमीट्रिक रिपोर्ट के आधार पर आने वाले दिनों में कई कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई की संभावना बनती दिख रही है। इनमें लगातार अनुपस्थिति पर वेतन कटौती, बार-बार ड्यूटी से गायब रहने पर शोकॉज नोटिस, गंभीर मामलों में विभागीय कार्रवाई या निलंबन और ओवरटाइम व अतिरिक्त भुगतान अब पूरी तरह डिजिटल डेटा के आधार पर तय होना शामिल है।

प्रशासन का मानना है कि इस सख्ती से अस्पताल की कार्यप्रणाली में व्यापक सुधार आएगा। ओपीडी और इमरजेंसी में समय पर डॉक्टर उपलब्ध रहेंगे।

उपचार में होने वाली देरी कम होगी और वार्डों में नियमित निगरानी सुनिश्चित होगी। इसका सबसे बड़ा लाभ मरीजों और उनके परिजनों को मिलेगा, जो लंबे समय से एमजीएम में बेहतर व्यवस्था की मांग कर रहे थे।

लंबे समय से उठते रहे हैं सवाल

एमजीएम अस्पताल को लेकर यह आरोप लगातार उठते रहे हैं कि यहां समय पर डॉक्टर नहीं मिलते, कई जांच सुविधाएं कागजों में उपलब्ध हैं, लेकिन व्यवहार में मरीजों को बाहर भेज दिया जाता है, और दवाओं व संसाधनों का समुचित उपयोग नहीं हो पाता। इन परिस्थितियों को देखते हुए उपायुक्त ने यह कार्रवाई शुरू की है।

उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी के इस कदम के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि अब एमजीएम में गैरजिम्मेदारी, मनमानी और ड्यूटी से गायब रहना बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में बायोमिट्रिक रिपोर्ट के आधार पर कुछ बड़े नामों पर भी कार्रवाई हो सकती है।

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