Site icon

ऑस्ट्रेलिया, जापान, अमेरिका.. 50 देशों की नौसेना की कप्तानी करेगी इंडियन नेवी, चीन के खिलाफ एक्शन प्लान तैयार

indian navy

दुनिया को अपनी ताकत का अहसास कराने और चीन की घेराबंदी करने के लिए इंडियन नेवी अब ‘विश्वविजय’ अभियान की शुरूआत कर रही है और फरवरी 2024 के अंत में भारत मिलान अभ्यास में अपनी नौसेना का प्रदर्शन करना शुरू करेगा।

चीन पर नजर रखते हुए, 50 नौसेनाओं का एक दस्ता रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बंगाल की खाड़ी में जुटेगा, जो क्षेत्र में चीन की आक्रामकता को मुंहतोड़ जवाब देगा, जिसका मकसद एक सुरक्षित और स्थिर इंडो-पैसिफिक सुनिश्चित करने का एक चेतावनी संदेश होगा।

भारतीय नौसेना के जुड़वां एयरक्राफ्ट कैरियर (आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत) और विदेशी पनडुब्बियां, इस सैन्य अभ्यास के सितारे होंगे, जिसका मकसद साफ शब्दों में ये होगा, कि समुद्री स्वतंत्रता और शांति को बिगाड़ने की कोशिश चीन हरगिज ना करे।

क्या है इंडियन नेवी का मिलान समुद्री अभ्यास?

मिलान समुद्री अभ्यास में क्वाड देशों – अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के अलावा, दक्षिण-पूर्वी देशों की नौसेनाएं भाग ले रही हैं। भारत 19 से 27 फरवरी तक अभ्यास के लिए अपने दोनों एयरक्राफ्ट कैरियर- आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत को तैनात करेगा। इनके अलावा, 20 नौसैनिक युद्धपोत, पी-8आई जैसे समुद्री गश्ती विमान और पनडुब्बियां भी अभ्यास में हिस्सा लेंगी।

यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, एक सैन्य अधिकारी ने कहा, कि “नौसेना अभ्यास के समुद्री चरण में बड़े पैमाने पर युद्धाभ्यास, एडवांस एयर डिफेंस ऑपरेशन, पनडुब्बी रोधी युद्ध और सतह रोधी ऑपरेशन शामिल होंगे।” यह मिलान अभ्यास का 12वां संस्करण होगा और इस बार के अभ्यास का मकसद चीन को संदेश देना होगा।

सैन्य अभ्यास के ‘हार्बर चरण’ में एक अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सेमिनार, इंटरनेशनल सिटी परेड, समुद्री टेक्नोलॉजी प्रदर्शनी, सब्जेक्ट मैटर एक्सपर्ट एक्सचेंज , युवा अधिकारियों का मिलन और विभिन्न खेल कार्यक्रम शामिल होंगे।

एक साथ भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका

भारत के अलावा, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, बांग्लादेश, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, इंडोनेशिया और मलेशिया की नौसेनाओं के इस अभ्यास में भाग ले रहे हैं। इस अभ्यास का मकसद, क्षेत्र में मित्रवत नौसेनाओं को तालमेल हासिल करने और इंडो-पैसिफिक में खुले, समावेशी और नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के प्रति प्रतिबद्धता को दोहराने में मदद करना है, जिसे चीन की बढ़ती आक्रामकता से खतरा हो रहा है।

चीन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी ताकत दिखा रहा है, जिससे जापान और अमेरिका के साथ उसका सीधा टकराव हो रहा है, खासकर पूर्वी और दक्षिणी चीन सागर में। फिलीपींस और ताइवान के साथ भी स्थिति कई वर्षों से अस्थिर रही है।

भारत, अपनी ओर से, दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ रहा है, और क्वाड देशों के साथ भी इसका जुड़ाव काफी बढ़ गया है।

लेकिन यह अभ्यास न केवल ताकत दिखाने के लिए है, बल्कि यूनाइटेड किंगडम, इज़राइल, सऊदी अरब, इराक, ईरान, ओमान, कतर, कुवैत और यूएई, ब्रुनेई, फिलीपींस, मालदीव जैसे कई प्रमुख खिलाड़ियों के बीच राजनयिक पहुंच के लिए भी है, जिसमें केन्या, इंडोनेशिया और मॉरीशस भी शामिल हैं।

हूती लुटेरों को भी काउंटर की कोशिश

यह समुद्री अभ्यास ऐसे समय में हो रहा है, जब हूती मिलिशिया और सोमाली समुद्री डाकु लगातार लाल सागर में हमले कर रहे हैं, जिससे व्यापारिक जहाजों के ऑपरेशन पर भारी खतरा मंडरा रहा है।

ईरान समर्थित हूती विद्रोही वाणिज्यिक जहाजों को निशाना बना रहे हैं, जिससे व्यापार महंगा हो गया है। भारतीय नौसेना अरब सागर में समुद्री डकैतों के खिलाफ ऑपरेशन चला रही है और जहाजों को बचाने का काम कर रही है। मुख्य रूप से अदन की खाड़ी और अफ्रीका के हॉर्न के आसपास, जहां सोमालिया के समुद्री डाकुओं ने समुद्री खतरा पैदा कर दिया है, वहां तक इंडियन नेवी अपना ऑपरेशन चला रही है।

भारतीय नौसेना का प्रभाव क्षेत्र पश्चिम में अदन की खाड़ी से लेकर पूर्व में मलक्का जलडमरूमध्य तक फैला हुआ है। इसके लिए, उसने 490 समुद्री मील लंबे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनुशंसित ट्रांजिट कॉरिडोर (आईआरटीसी) के माध्यम से व्यापारी जहाजों को ले जाने के लिए 50 युद्धपोत तैनात किए हैं।

भारत के रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने संसद को बताया है, कि “2008 से इंडियन नेवी ने समुद्री डकैती रोधी गश्त के लिए अदन की खाड़ी और अफ्रीका के पूर्वी तट तक कई इकाइयां तैनात की हैं और कुल 3,440 जहाजों और 25,000 से ज्यादा नाविकों को सुरक्षित निकाला है।”

Exit mobile version