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103 लोगों से लाखों की ठगी, रेलवे नौकरी के नाम पर की गई ठगी, जाने मामला

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धनबाद : धनबाद, आसनसोल व हावड़ा रेल मंडल में रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर 103 अभ्यर्थियों से लाखों रुपए की ठगी की गई है. मामले का भंडाफोड़ होने के बाद सरगना संगीता सिंह मोबाइल बंद कर फरार हो गई, लेकिन उसका पार्टनर अजीत सिंह पकड़ा गया. अजीत सिंह का कहना है कि वह संगीता से बात कर सभी को एक सप्ताह के भीतर पैसे दिला देगा. भूली निवासी संगीता सिंह पिछले कई वर्षों से आसनसोल के अजीत सिंह के साथ मिलकर ठगी का कारोबार कर रही थी. दोनों जालसाज चार लड़के-लड़कियों को 20-20 हजार महीने की तनख्वाह पर रखे हैं, जो युवक-युवतियों को जाल में फंसाकर जोड़ाफाटक रोड, आसनसोल, बर्नपुर और भूली में किराये के घर में बुलाकर पहले एडवांस के तौर पर 20 हजार रुपये ले लेते थे और ज्वाइनिंग लेटर देते समय एक लाख रुपये लेने की बात कहते थे.

गैंग की सरगना संगीता सिंह युवक-युवतियों को परीक्षा दिलाने, मेडिकल कराने व ज्वाइनिंग लेटर देकर असिस्टेंट ट्रेन ड्राइवर, गार्ड व टीटीई की नौकरी दिलाने के लिए सब्जबाज दिखाती थी. रेलवे में आउटसोर्सिंग कंपनी में भी नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करती थी. भूली के सतीश कुमार, मीणा कुमारी समेत कई युवक-युवतियों ने बताया कि संगीता सिंह व अजीत सिंह जालसाज हैं, जो धनबाद से लेकर बिहार-बंगाल के युवक-युवतियों से ठगी का कारोबार कर रहे हैं.

जानकारी के अनुसार, रिटायर्ड रेलकर्मी कैलाश प्रसाद के बेटे कमल प्रसाद को जब संगीता व अजीत सिंह ने अपने जाल में फंसाया तो जालसाजी का राज खुल गया. कैलाश प्रसाद का कहना है कि वे पहले संरक्षा विभाग में काम करते थे. संरक्षा विभाग में आउटसोर्सिंग पर बहाली नहीं होती है. जबकि संगीता व अजीत उसके बेटे कमल को ट्रेन ड्राइवर या गार्ड के हेल्पर के पद पर नौकरी दिलाने का वादा कर रहे थे. साथ ही ट्रेनिंग में 31 हजार वेतन और बाद में 40 हजार रुपए तनख्वाह दिलाने की बात कर रहे थे. जब उन्होंने धनबाद से लेकर आसनसोल व हावड़ा रेल मंडल के पदाधिकारियों से पता किया तो संगीता व अजीत के होश उड़ गए. थाना में शिकायत करने की बात कही तो दोनों ने कहा कि वे लोग सभी को पैसा लौटा देंगे. रिटायर्ड रेलकर्मी के बेटे से भी उनलोगों ने 20 हजार की ठगी की है.

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