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‘कमजोर मंत्री समझते हैं हमको? 82 KG वजन है हमारा, भारी कार्रवाई होगी’, ‘मुर्दों’ के इलाज पर बोले हेल्थ मिनिस्टर

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झारखंड में मुर्दों का इलाज हो जाता है, मुर्दे राशन खा जाते हैं और तो और गूंगे गाना गाते हैं और लंगड़े यानी दिव्यांग साइकिल चला लेते हैं. आप समझ सकते हैं कि कैसे यहां फर्जीवाड़ा और भ्रष्टचार का खुला खेल होता है.

ताजा मामला स्वास्थ्य विभाग से आया है, जहां सीएजी के रिपोर्ट के मुताबिक 2020-21में कुल 250 मुर्दों का इलाज आयुष्मान भारत स्कीम के तहत करके 30 लाख से ज्यादा रुपयों का भुगतान भी अस्पतालों को कर दिया गया.

मुर्दों का हुआ इलाज

यह फर्जीवाड़ा ऐसे समय में हुआ है जब अक्सर सुनने को मिलता है कि गरीब अस्पतालों के चक्कर काटते रहते हैं और कोई ना कोई बहाना बनाकर कई बार उनका इलाज आयुष्मान स्कीम के तहत करने से मना कर दिया जाता है. लेकिन सीएजी रिपोर्ट चौंकाने वाली है, अस्पतालो ने 323 क्लेम में 250 मरीजों की मौत दिखाई फिर उनका इलाज करके भुगतान भी ले लिया. मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में खलबली मची हुई है.

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स्वास्थ्य मंत्री का अजब बयान

स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता इस विषय पर करवाई करने की बात कह रहे हैं. जब उनसे कहा गया की आपके विभाग में कभी मर चुके डॉक्टर का ट्रांसफर कर दिया जाता है, तो कभी मुर्दों का इलाज हो जाता है और आप विषय की हल्के में ले रहे हैं? इस पर बन्ना गुप्ता ने जवाब दिया, ‘हमारा वजन 80 से 82किलो है और हम न तो हल्के हैं और न ही करवाई हल्की होगी और न ही मामले को हल्के में लिया गया है. कमज़ोर मंत्री समझते हैं क्या हमको?’ उन्होंने कहा कि दोषियों पर भारी करवाई होगी.

पहले भी आ चुके हैं हैरान करने वाले मामले

हालांकि अजब झारखंड की गजब दास्तान समय समय पर आती रही है तो वो सुर्खियां बन जाती है. इसके पहले भी राज्य के गढ़वा समेत कई जिलों से ऐसे मामले आ चुके हैं जहां व्यक्ति की मौत हो चुकी है उनके नाम को राशन कार्ड से कटवाया नहीं जाता हैं. उनके नाम से बेरोक टोक 2021में राशन उठाने का मामला सामने आया था. हालांकि उस पर खाद्य आपूर्ति मंत्री रामेश्वर ओरण ने करवाई की थी हजारों राशन कार्ड भी कैंसल किए थे.

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उसी तरह से धनबाद से एक मामला 2021-22में सामने आया था. यहां जो गाना गा सकते हैं उन्हें गूंगो का फर्जी सर्टिफिकेट बनाकर दे दिया गया और बोलने वालों ने इस सर्टिफिकेट के जरिए दिव्यांग योजनाओं का लाभ लिया. इसी तरह जो कार और साइकिल चला सकते थे उन्होंने चलने में असमर्थता का सर्टिफिकेट बनवाया हुआ था. ये सब इसलिए ताकि लाभ और मिलने वाले दिव्यांग पेंशन को डकारा जा सके.