पिछले कुछ महीनों से खालिस्तान काफी चर्चा का विषय बन गया है, भारत से लेकर अमेरिका तक अब इसको लेकर सजग हैं। वहीं अमेरिका ने खालिस्तान को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। जब विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस से खालिस्तान के बारे में सवाल पूछे तो उन्होंने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा करता है। साथ ही कहा कि जो अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हिंसा का सहारा लेते हैं हम उनको जगह नहीं दे सकते।

नेड प्राइस ने अपने बयान में कहा कि हम हिंसक उग्रवाद की निंदा करते हैं। हम उन सभी की निंदा करते हैं जो अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हिंसा का सहारा लेते हैं, चाहे वे राजनीतिक हों या कोई अन्य। हिंसा का सहारा लेने का कभी कोई औचित्य नहीं है। वहीं नेड प्राइस से उन खालिस्तानी कार्यकर्ताओं पर अपने विचार साझा करने के लिए कहा गया जो उत्तरी अमेरिका में सक्रिय हैं और जो 1985 में एयर इंडिया पर बमबारी के लिए जिम्मेदार थे।
ऑस्ट्रेलिया समेत अन्य देशों में संदिग्ध खालिस्तान समर्थकों के हमले बढ़े हैं, वहीं ऑस्ट्रेलिया में हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया गया है। वहीं अब इन हमलों से आशंका है कि अलगाववादी संगठन की गतिविधियों में अब तेजी आएगी। 21 फरवरी की रात ब्रिस्बेन में संदिग्ध खालिस्तान समर्थकों द्वारा कथित रूप से भारतीय वाणिज्य दूतावास में तोड़फोड़ करने के बाद चिंताएँ और बढ़ गईं।
अमेरिका-पाकिस्तान के बीच 6-7 मार्च को आतंकवाद विरोधी वार्ता हुई थी, इसको लेकर विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका-पाकिस्तान आतंकवाद विरोधी वार्ता दोनों देशों के लिए एक अवसर प्रदान करती है। वहीं संयुक्त राज्य अमेरिका ने आतंकवादी खतरों और हिंसक उग्रवाद का मुकाबला करने के लिए पाकिस्तान के साथ काम करने की अपनी इच्छा व्यक्त की है।