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पद लोलुप्ता की वजह से प्रधानी छोड़कर झारखंड मुक्ति मोर्चा का दामन थामा है भगवान सिंह ने : रविंद्र सिंह रिंकू

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जमशेदपुर : सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान भगवान सिंह जिस तरीके से लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के झारखंड मुक्ति मोर्चा प्रत्याशी समीर मोहंती के पक्ष में प्रचार प्रसार कर रहे हैं, इस तरह तो उन्हें सीजीपीसी की प्रधानी छोड़कर झारखंड मुक्ति मोर्चा में चले जाना चाहिए। यह बातें प्रेस बयान जारी कर झारखंड प्रदेश भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के सदस्य एवं जमशेदपुर लोकसभा अल्पसंख्यक मोर्चा भाजपा के सह प्रभारी रविंद्र सिंह रिंकू ने कहीं।

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उन्होंने कहा कि पिछले 8 मई को रिफ्यूजी कॉलोनी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के तत्वाधान में इंडिया गठबंधन प्रत्याशी समीर मोहंती के पक्ष में जिस तरह से भगवान सिंह ने स्वागत और अभिनंदन किया, इससे स्पष्ट हो गया की वो झारखंड मुक्ति मोर्चा के पक्ष में है। भगवान सिंह के चाहने वाले पूरा सिख समाज के लोगों ने समीर मोहंती का जोरदार तरीके से अभिनंदन किया। यह कार्यक्रम इसलिए किया गया ताकि सीतारामडेरा में झारखंड सिख विकास मंच के अध्यक्ष गुरदीप सिंह पप्पू द्वारा आयोजित भाजपा प्रत्याशी विद्युत वरण महतो के स्वागत समारोह को विफल कर दिया जाए। हालांकि अलग बात है कि गुरदीप सिंह पप्पू द्वारा आयोजित स्वागत समारोह ऐतिहासिक रहा।

पटमदा में मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के माला पहनने वाले कार्यक्रम से दूर रहे सिख समाज के लोग

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पटमदा में 12 मई को आयोजित आईटीआई इंडिया गठबंधन प्रत्याशी समीर मोहंती के कार्यक्रम में झारखंड के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन का कार्यक्रम था। इस कार्यक्रम में किसान आंदोलन के समर्थक भगवान सिंह को मंच से भाषण देने को मौका तो मिला लेकिन जब मुख्यमंत्री को माला पहनाने की बारी आई तो सिख समाज के लोग दूर-दूर तक नहीं दिखे। इससे सिख समाज के प्रतिष्ठा को क्या धक्का लगा यह अंदाजा लगाया जा सकता है।

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रविंद्र सिंह रिंकू ने कहा कि सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के प्रधान को इस तरह से किसी राजनीतिक मंच पर जाकर लोकसभा चुनाव में प्रचार प्रसार नहीं करना चाहिए था, क्योंकि सीजीपीसी में हर राजनीतिक दल के लोग शामिल हैं। उन्होंने कहा कि भगवान सिंह को अपने प्रधानी के पद की गरिमा को बरकरार रखना चाहिए था और यदि वह समीर मोहंती के पक्ष में प्राचार करना चाहते हैं तो क्यों ना झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल हो जाते हैं। हालांकि शहर में इस बात की भी चर्चा है कि भगवान सिंह की चाहत है कि उनको झारखंड अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष या उपाध्यक्ष की पदवी मिल जाए। इसके लिए वह पूर्व में भी झारखंड मुक्ति मोर्चा के एक सिख नेता के संपर्क में रहे हैं। उनके अंदर पद की लालसा इतनी बढ़ गयी है कि वह गुरुद्वारा की प्रधानी छोड़ कर राजनीति पार्टी के प्रचार में लगे हुए हैं जो एक प्रधान को शोभा नहीं देता है।