एक नई सोच, एक नई धारा

अदने से कार्यकर्ताओं का पत्र, भाजपा के दिग्गज नेता के नाम

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प्रिय नेताजी,

शायद आपको इस बात का अंदाज़ा हो कि आपकी चुप्पी शायद ही कभी इतनी प्रभावी रही हो जितनी आज है। हमसे ज्यादा तिलमिलाए हुए आपके ही समर्थक हैं, जो चाहकर भी असमंजस में है और कई दशक के सबसे बड़े हिन्दू एकत्रीकरण का हिस्सा नहीं बन पा रहें।

आपकी घृणित राजनीति तो जगजाहिर है। मात्र एक मंडल अध्यक्ष के पद पर होने के बावजूद आपको जिन पश्चिमी विधानसभा जमशेदपुर के विधायक ने प्रखर हिंदूवादी नेता का टिकट काट कर आपको भाजपा का टिकट दिलवाया, अपने उन्हीं का टिकट काट दिया 2005 में। उनकी राजनीतिक पारी को ही समाप्त कर रख दिया। आपके विश्वासघात का ऐसा असर उनपर पड़ा कि चुनाव के कुछ महीनों के भीतर उनकी हृदयगति रुकने के कारण मृत्यु हो गयी।

जमशेदपुर के सबसे प्रखर युवा नेता जब टिकट की दौड़ में शामिल हुए और लगभग टिकट फाइनल हुआ तब आडवाणी जी के आदेश पर भी पार्टी का उत्थान न देखकर व्यक्तिगत दुश्मनी निभाते हुए अपने तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष होने का फायदा उठाकर आपने युवा नेता का टिकट काट बिहार से एक नेता को इम्पोर्ट किया और उन्हें जमशेदपुर की राजनीति का हिस्सा बना गए।
साथ ही पार्टी हित में कार्यरत, पर आपके हितों के विरोध में कार्य करने वाले 57 नेताओं को अपने पार्टी से निष्काषित कर, कारण बताओ नोटिस थमा दिया।

आपको 5 साल मुख्यमंत्री रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। पहला और इकलौता मुख्यमंत्री जिसे पूरे 5 साल तक राज्य की काया पलटने का मौका मिला। अपने मौके को ऐसे भुनाया की कंबल तो कंबल, बच्चों के टॉफ़ी को भी घोटाला कर चूस गए। अर्जुन को बनवास में भेज शकुनि बन भाजपा का ऐसा हाल किया कि भाजपा वहां भी हार गई जहां पिछले 40 सालों से झंडा बुलंद था।

कोल्हान साफ – झारखंड हाफ।

2019 के चुनाव में अपने एक बार फिर अपने ही द्वारा इम्पोर्टेड नेता को जो आपके भ्रष्ट एवम दोगली नीति का पुरजोर विरोधी हो चुका था उसे बाहर का रास्ता दिखाने का कुटिल प्रयास किया। ऐसा प्रयास की भाजपा को ही कमज़ोर करने के लिए उसे हटाकर पश्चिमी से एक ऐसा डमी उम्मीदवार खड़ा किया गया जिसे शायद 45 साल से नीचे का 10% आबादी भी न जानता हो। हुआ वही जो आप चाहते थे, डमी हार गए।

वहीं जनता आपकी और अस्वस्थ्य मंत्री के गठजोड़ को जान चुकी थी। पर समय ने करवट ली। आपको कभी आपके ही लाये हुए प्यादे न चाणक्य की भांति लपेट कर पटक दिया।
2005 में आपके द्वारा निष्काषित नेताओं ने फिर से पार्टी में वापसी तब की जब आप अपनी ज़मीन तलाश रहे थे। आप के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाया, आपको सम्मान दिया। पर आप भी आदिल खान निकले, चले शिवाजी को धोखे से खंजर घोपने।

जो भी हो, आज आपकी वजह से, सिर्फ और सिर्फ आपकी वजह से हिन्दू एकजुट नहीं हो पा रहा है। सालों के विरोध के बाद कई युवा एक साथ हिंदूवादी भाजपा के झंडे तले एक होकर कार्य कर रहे थे। आपकी घृणित राजनीति ने दूध में नींबू निचोड़ दिया।

आज आपको हम बेताल दिख रहे हैं और आप आम जनता को जयचंद। आपके होनहार समर्थक लॉलीपाप चूस कर बैठे हैं। आपके समर्थन में एक शब्द नहीं निकल रहा। यही है आपका आईना।
हो सकता है ये लड़ाई भी आप जीत जाएं, पर इस राजनीति के महाभारत में जब आपकी जंघा टूटी होगी और आप मृत्यु के लिए बिलबिला रहे होंगे। तब गंगाजल डालने वाले शायद सब अपने अपने घोसलों की तरफ बढ़ चुके होंगे।
खैर, आपकी घृणित राजनीति आपको मुबारक। इस धर्मयुद्ध में दुर्योधन दुशाशन की आवश्यकता भी नहीं है।

✒️भाजपा के अदने से कार्यकर्तागण