एक नई सोच, एक नई धारा

झारखण्ड मानसून सत्र : बाँह चढ़ाते हुए इरफान की ओर दौड़े शशिभूषण मेहता, शर्मसार हुआ सदन, संशोधन के साथ पास हुआ प्रतियोगिता परीक्षा विधेयक 2023

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रांची: झारखंड विधानसभा में मानसून सत्र के पांचवें दिन सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे के बाद शुरू हुई। सदन में प्रभारी मंत्री आलमगीर आलम ने झारखंड प्रतियोगिता परीक्षा विधेयक 2023 विधेयक को पटल पर रखा। जिसपर विधानसभा अध्यक्ष ने अनुमति दी। इसके बाद जिन विधायकों ने इस विधेयक को प्रवर समिति को भेजने की बात कही, उन्होंने अपनी बात रखी। इस विधेयक पर विनोद सिंह, अनंत ओझा, डॉ लंबोदर महतो, विधायक अमर बाउरी , विधायक नवीन जायसवाल, विधायक अमित मंडल ने अपना तर्क दिया। इसके बाद विधायक प्रदीप यादव ने भी इसमें संशोधन करने की बात कही। (जारी…)

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डॉ लंबोदर महतो ने कहा कि इस विधेयक को प्रवर समिति को भेजा जाए और समिति को 30 दिनों में अपना प्रतिवेदन देने को कहा जाए। उन्होंने कहा कि झारखंड में झारखंड परीक्षा संचालन अधिनियम 2001 है तो इसकी आवश्यकता क्यों। यह कानून इसी सदन में बना है. आज भी यह लागू है। सदन में उन्होंने झारखंड प्रतियोगिता परीक्षा विधेयक 2023 को काला कानून कहते हैं।
विधायक अमर बाउरी ने अपना तर्क देते हुए कहा कि कानून बनाने के पीछे की मंशा जरूर अच्छी होगी। लेकिन इसमें जो भी विषय है वह छात्रों को डराने के लिए है। इसमें जो प्रावधान है उसके अनुसार सजा ऐसी है जैसा मर्डर में नहीं होता। यह विधेयक छात्रों को आत्महत्या करने पर मजबूर कर देगी। इसे ठीक करने की जरूरत है। इसलिए युवाओं के भविष्य को देखते हुए इसमें विचार करने की जरूरत है।

विधायक नवीन जायसवाल ने इसे हड़बड़ी में लाया हुआ विधेयक कहा। उन्होंने कहा कि यह काला कानून है। युवाओं के आवाज दबाने वाला कानून है। नियुक्तयों में चोर दरवाजा खोलने की कोशिश है। अगर विधेयक पास हुआ तो हजारों युवा सड़कों पर आएंगे। उन्होंने कहा कि यह कानून युवाओं की आवाज दबाने का साधन है। अमित मंडल ने अपनी बात में कहा कि यह विधेयक अंग्रेजों के रोलैट एक्ट की तरह है। इस एक्ट को ईस्ट इंडिया कंपनी ने लाया था। जिस विधेयक की हम चर्चा कर रहे हैं उसे भी इंडिया पार्टी ने लाया है। अगर इस इंडिया के आगे ईस्ट जोड़ दिया जाए तो यह काला कानून वहीं ला रहे हैं।
विधायकों की ओर से विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने के पीछे तर्क दिया गया। जिसके जवाब में संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य राज्य के बच्चों को अवसर देने के लिए है। परीक्षा के दौरान जो गलत प्रैक्टिस होता है, उसे इस तरह के कड़े कानून से ही रोका जा सकता है। यह सरकार का सराहनीय कदम है। यह विधेयक केवल स्टूडेंट्स नहीं बल्कि इससे जुड़े तमाम एजेंसियों को ध्यान में रख कर लाया गया है। परीक्षा के दौरान गलत प्रैक्टिस को नहीं रोका गया तो यहां के बच्चों के हितों की रक्षा नहीं हो सकेगी। उन्होंने कहा कि इसके दायरे में परीक्षा एजेंसी से लेकर कोचिंग संस्थान तक आते हैं. जिन्हें दंड दिया जाएगा। इस विधेयक पर विचार सत्र न्यायालय के द्वारा किया जाएगा। सभी बातों को ध्यान में रखा गया है। संसोधन पर विचार किया जाएगा। प्रदीप यादव के अनुरोध पर सजा को कम करने पर विचार किया जाएगा। ऐसे में इस विधेयक को प्रवर समिति को न भेजकर इसे पास किया जाए। इसके बाद तमाम संसोधनों पर विचार करने के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने बिल को संशोधन के साथ पास किया। (जारी…)

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सदन में सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि इस विधेयक पर सदन की भावना से असहमत नहीं हूं और समझता भी हूं। विधेयक को लेकर विपक्ष सवाल खड़े कर रहा है। सरकार की यही सोच है कि यही डर और भय संस्थाओं में हो, छात्रों में हो जो इसमें शामिल होते हैं। किसी एक की वजह से लाखों क्यों परेशान हों। हम कोई भी फैसला लेते हैं साधारण चीजों में भी जैसे अगर हम पुराना कंप्यूटर बदलकर नया लाते हैं तो हमारे मन में कई सवाल होते हैं। नया सॉफ्टवेयर कैसा होगा हम काम कर पायेंगे या नहीं लेकिन समय के साथ आप सामंजस्य बना लेते हैं और काम करते हैं।

यह विधेयक हम सिर्फ लेकर नहीं आये हैं बल्कि दूसरे राज्यों में भी है। यह विधेयक हड़बड़ी में नहीं लाया गया है बल्कि सोच विचार कर लाया गया है। हम नौजवानों के भविष्य को सोच कर बना रहे हैं। विपक्ष सुभाष मुंडा को लेकर विरोध कर रहा है, बार – बार वेल में आ रहे हैं। सभी नौजवान जमीन के कारोबार में जुड़ रहे हैं। इस राज्य में नक्सल कैसे बने, भूखे पेट जो ना कराए। कल हमारे घर से भी परीक्षा देने बच्चे जायेंगे। आज जिस तरह के सेंटर बनते हैं। गुमला के बच्चे दुमका में, धनबाद में परीक्षा देते हैं कौन किससे दुश्मनी मोल लेगा। किसी को कोई पहचानता नहीं होगा। ट्रेन में एक सुरक्षाकर्मी ने चार लोगों की जान ले ली। मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति की वजह से कानून बदल देना। इसकी आत्मा को ही निकाल देना ठीक नहीं है। अनुमति की आशा में चीजें बैताल खाते में चली जाती है। अगर इसमें कोई समस्या होगी तो अगले सदन में इसे बदलेंगे। हमें मजबूती से आगे बढ़ना चाहिए। मजबूती से परीक्षा कराना चाहिए। (जारी…)

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सदन के दोबारा शुरू होने पर भाजपा विधायक बिरंची नारायण ने इरफान अंसारी के बयान को लेकर कहा कि यह घटना संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम के सामने हुई है। ऐसे में उन्हें माफी मांगनी चाहिए। इसके बाद इस मामले पर संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने अपनी बात रखी। उन्होंने सदन में बताया कि इरफान अंसारी ने अपने बयान को लेकर उसी दिन माफी मांग ली है। संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि इरफान अंसारी ने माफी मांगी है साथ ही उस बयान को तुल दिया जा रहा है। इसके बाद भी भाजपा विधायक हंगामा करते रहे।

भाजपा विधायक कुशवाहा शशिभूषण मेहता ने सदन को आज शर्मशार किया। मेहता सदन के अंदर इरफान अंसारी को मारने दौड़े। उमाशंकर अकेला ने मेहता को ऐसा करने से रोका। यह सब देख अपने आसन से स्पीकर रबिन्द्रनाथ महतो खड़े हो गए। दरअसल सदन की कार्यवाही शुरू होते ही इरफान अंसारी के बयान पर बवाल मच गया। मेहता ने कहा कि सदन में कान पकड़कर इरफान अंसारी माफी मांगें। ऐसा नहीं करने पर मैं उनकी ऐसी की तैसी कर दूंगा। मंदिर में जाते हैं, चुनरी ओढ़कर ड्रामा करते हैं, टिका मिटाते हैं। इसके बाद जैसे ही इरफान सदन के अंदर आये, मेहता बांह चढ़ाते हुए इरफान की ओर इशारा करते हुए बोले कि आओ इधर आओ और मारने के लिए दौड़ पड़े।

सदन अखाड़ा है क्या: शशिभूषण मेहता के रवैय्ये को देखते हुए स्पीकर ने गुस्से में कहा कि सदन अखाड़ा है क्या? मार्शल की ओर इशारा करते हुए कहा कि इन्हें बाहर निकालिए. संसदीय मर्यादा नहीं समझते हैं। खुद को पढा लिखा बोलते हैं और बोलने का तरीका नहीं है।