एक नई सोच, एक नई धारा

अरविंदर सिंह लवली ने दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा

Arvinder Singh Lovely
Arvinder Singh Lovely

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस में मची घमासान अंततः सड़क पर आ गई। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस पार्टी ने जब से उत्तर-पश्चिमी दिल्ली से उदित राज और उत्तर-पूर्वी दिल्ली से कन्हैया कुमार को अपना उम्मीदवार बनाया था, उसी समय से पार्टी के अंदर घमासान मच गया था।

पार्टी नेता बाहरी लोगों को लोकसभा उम्मीदवार बनाए जाने के सख्त खिलाफ थे, लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं को अनसुना करते हुए बाहरी चेहरों को टिकट दे दिया गया। कांग्रेस को यह फैसला भारी पड़ गया और अंततः दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने अपना इस्तीफा देकर अपनी नाराजगी जता दी।

IMG 20240309 WA0028

दरअसल, अरविंदर सिंह लवली खुद भी उत्तर पूर्वी दिल्ली से मनोज तिवारी के सामने लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन उनकी इच्छाओं को दरकिनार करते हुए पार्टी ने दूसरे चेहरे को लोकसभा चुनाव में उतारने की योजना बनाई। स्वयं जयराम रमेश ने कन्हैया कुमार को उत्तर पूर्वी दिल्ली से टिकट दिलाने के लिए खूंटा गाड़ दिया। इसे देखते हुए लवली ने खुद चुनाव में न उतरने की बात कह दी, लेकिन पार्टी के नेता जानते हैं कि लवली इस फैसले से बिल्कुल भी खुश नहीं थे।

कन्हैया कुमार की उम्मीदवारी के खिलाफ संदीप दीक्षित भी थे, जो स्वयं उत्तर पूर्वी दिल्ली से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे। एक बैठक के दौरान कन्हैया कुमार और उनके बीच बहस भी हो गई थी। लेकिन इसके बाद भी पार्टी ने कन्हैया कुमार की उम्मीदवारी को ही सही ठहराया। इसी प्रकार, उदित राज को उत्तर पश्चिम दिल्ली से उम्मीदवार बनाए जाने का राजकुमार चौहान लगातार विरोध कर रहे थे। जिस दिन उम्मीदवारों का मीडिया के सामने परिचय सम्मेलन करवाया जा रहा था, उस दिन भी पार्टी के प्रदेश मुख्यालय के सामने कार्यकर्ता लगातार उदित राज और कन्हैया कुमार की उम्मीदवारी का विरोध कर रहे थे। इससे यह साफ था कि कार्यकर्ताओं का इन उम्मीदवारों को सहयोग नहीं मिलने वाला था। इसका असर लोकसभा चुनाव में देखने को मिलना तय था।

केजरीवाल से समझौते का विरोध
अरविंदर सिंह लवली शुरुआत से ही आम आदमी पार्टी के साथ कांग्रेस से समझौते के सख्त खिलाफ थे। उनका कहना था कि जिस केजरीवाल ने तमाम झूठे आरोप लगाकर कांग्रेस को बदनाम करने का काम किया और उसे सत्ता से बाहर करने में अपनी बड़ी भूमिका निभाई, आज उसी केजरीवाल के साथ में समझौता करना पार्टी के लिए किसी भी तरह से ठीक नहीं है। उच्च स्तर पर बैठे नेताओं ने भी इस निर्णय के खिलाफ आवाज उठाई थी। निचले स्तर के कार्यकर्ता भी इस निर्णय से खुश नहीं थे।

IMG 20240309 WA0027

दिल्ली कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, अरविंदर सिंह लवली ने पार्टी आला कमान के सामने यह प्रस्ताव रखा था कि जिस तरह पंजाब में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस अलग-अलग चुनाव लड़ रही हैं, उसी तरीके से दिल्ली में भी दोनों पार्टियों को अलग-अलग चुनाव लड़ना चाहिए। आम आदमी पार्टी के इंडिया गठबंधन में रहने से उन्हें कोई आपत्ति नहीं थी, लेकिन उनके साथ चुनावी मैदान में जाना उन्हें घाटे का सौदा लग रहा था। उन्होंने कहा था कि यदि केजरीवाल के साथ दिल्ली का चुनाव लड़ा जाएगा तो विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को मजबूत करना कठिन हो जाएगा क्योंकि पार्टी उस समय केजरीवाल के खिलाफ कोई मजबूत स्टैंड नहीं ले सकेगी। इस बात की जानकारी उन्होंने पार्टी के शीर्ष नेताओं को भी दे दी थी, लेकिन उनकी नाराजगी को दरकिनार करते हुए पार्टी ने केजरीवाल के साथ चुनाव में जाने का फैसला कर लिया।

लवली ने आरोप लगाया है कि पार्टी के उच्च पदों पर बैठे शीर्ष नेताओं (कांग्रेस महासचिव और दिल्ली प्रभारी) ने उनके काम करने के लिए कोई जगह नहीं छोड़ी थी। उनकी हर फैसले में टांग अड़ाई जा रही थी। यहां तक कि लवली अपनी चहेते कार्यकर्ता को पार्टी के मीडिया सेल का प्रमुख तक नहीं बना सके थे। इससे भी लवली की पार्टी वाला कमान से नाराजगी बढ़ती चली गई।

अरविंदर सिंह लवली ने अपने इस्तीफे में भी कहा है कि लगभग आठ महीने पहले जब उनको अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी गई थी, पार्टी बहुत संकट से गुजर रही थी। पार्टी का कोई बड़ा कार्यक्रम तक नहीं हो रहा था, कार्यकर्ता बिखरे हुए थे। लेकिन पार्टी की जिम्मेदारी संभालते ही उन्होंने सब को एक साथ जोड़ने की कोशिश की। लेकिन पार्टी के महासचिव और दिल्ली प्रभारी उनके काम में लगातार टांग अड़ाते रहे। अभी तक डेढ़ सौ से ज्यादा ब्लॉक स्तर पर कार्यकर्ताओं को उनके पदों पर नियुक्त नहीं किया जा सका है।

IMG 20240309 WA0026