
राँची : टेंडर कमीशन घोटाले में लगभग हर रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं। इस कड़ी में ईडी ने 14 दिनों की रिमांड पर पूछताछ के बाद मंगलवार को मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव लाल व संजीव लाल के नौकर जहांगीर आलम को रांची स्थित पीएमएलए कोर्ट में प्रस्तुत किया। इस दौरान जांच एजेंसी ने कोर्ट को बताया ग्रामीण विकास विभाग में टेंडर कमीशन घोटाले में इंजीनियर, अधिकारी व मंत्री का एक संगठित गिरोह सक्रिय था।


ईडी ने सबूत के तौर पर जनवरी में पारित 92 करोड़ के 25 टेंडर के ब्यौरे से संबंधित एक पेपर भी कोर्ट में जमा किया, जिसमें इस बात क जिक्र है कि मंत्री आलमगीर आलम ने उक्त सभी 25 टेंडर में कमीशन के रूप में 1.23 करोड़ रुपये लिया था।
मंत्री आलमगीर आलम 15 मई को गिरफ्तार किए गए थे। गत 17 मई से वे ईडी की रिमांड पर हैं। उनकी छह दिनों की रिमांड बुधवार को पूरी हो जाएगी। ईडी की छानबीन में यह स्पष्ट हो गया है कि टेंडर कमीशन से मनी लांड्रिंग में आलमगीर आलम की भूमिका थी। ईडी का अनुसंधान जारी है।
एसीबी जमशेदपुर में दर्ज प्राथमिकी बनी थी ईडी जांच का आधार

एसीबी जमशेदपुर में 13 नवंबर 2019 को दर्ज प्राथमिकी व 11 जनवरी 2020 के चार्जशीट के आधार पर ईडी ने 17 सितंबर 2020 को ईसीआइआर दर्ज किया था। इसके बाद ईडी की छानबीन हुई और इसमें ग्रामीण कार्य विभाग के मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम की गिरफ्तारी हुई।

वीरेंद्र राम के ठिकानों पर छापेमारी में पुराने नोट भी मिले, जिसके बाद दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई में तीन फरवरी 2023 को प्राथमिकी दर्ज हुई। ईडी ने सभी कांडों को अपने ईसीआइआर में जोड़ा और छानबीन जारी रखी, जिसमें मंत्री आलमगीर आलम भी गिरफ्तार हुए थे।