कभी पश्चिम बंगाल में कांग्रेस की एकमात्र आवाज बन चुके प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी अब उस जिम्मेदारी से मुक्त हो चुके हैं या कर दिए गए हैं। वे टीएमसी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तीखी टिप्पणियों की वजह से कई बार पार्टी हाई कमान को भी परेशानी में डालते नजर आते थे।
प्रभारी कांग्रेस महासचिव गुलाम अहमद मीर ने कहा कि अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा चुनावों के बाद ही पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। लेकिन, खुद चौधरी के अनुसार उन्हें अचानक पता चला कि वह प्रदेश अध्यक्ष नहीं हैं। उई

वेणुगोपाल के साथ हुई बैठक के अगले दिन हुई घोषणा
मीर ने अधीर के इस्तीफे वाला बयान पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ बंगाल कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ हुई बैठक के एक दिन बाद दिया है। उस बैठक में अधीर रंजन भी मौजूद थे और वहां विभिन्न मसलों समेत बंगाल में टीएमसी के साथ गठबंधन को लेकर भी चर्चा हुई थी, जिसके चौधरी कट्टर विरोध रहे हैं।
चुनावों के बाद ही अधीर ने दिया था इस्तीफा- कांग्रेस महासचिव
मीर ने बताया है, ‘वरिष्ठ नेताओं के साथ चर्चा हुई। क्योंकि उस ब्रिफिंग में वे (अधीर रंजन चौधरी) भी बैठे हुए थे, मैंने सभी को सूचित किया कि ‘आपको पता होना चाहिए कि अधीर रंजन जी ने चुनावों के बाद अपना इस्तीफा दे दिया था और आप लोगों को 2026 के विधानसभा चुनावों के लेकर पार्टी को आगे ले जाने की रणनीति पर अपनी राय रखनी चाहिए।’
इस्तीफा स्वीकार होने की मीर नहीं कर पाए पुष्टि
उन्होंने कहा, ‘यह सही है कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। मैंने कहा कि अधीर रंजन चौधरी ने अपना इस्तीफा दे दिया है। इसलिए क्योंकि उन्होंने इस्तीफा दे दिया है, वे सिर्फ भूतपूर्व (प्रदेश अध्यक्ष) हैं।’ जब उनसे जोर देकर सवाल हुआ कि क्या उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है तो उन्होंने कहा कि सिर्फ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ही इसकी पुष्टि कर सकते हैं।

मुझे मीर ने अचानक ही पूर्व अध्यक्ष कहना शुरू कर दिया-अधीर रंजन
जबकि, लोकसभा में कांग्रेस के पूर्व नेता अधीर रंजन चौधरी ने न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में दावा किया है कि उन्हें पहले से कुछ भी पता नहीं था। उनका कहना है, गुलाम नबी मीर ने अचानक से उन्हें पूर्व अध्यक्ष कहना शुरू कर दिया। तब उनको इसकी जानकारी मिली।
खड़गे के बयान ने मुझे अपसेट कर दिया- अधीर रंजन चौधरी
इस बार बंगाल की बहरामपुर लोकसभा सीट से चुनाव हारने वाले चौधरी ने बताया, ‘जिस दिन मल्लिकार्जुन खड़गे पार्टी अध्यक्ष बने,पार्टी के संविधान के अनुसार पूरे देश में पार्टी के सभी पद अस्थाई बन गए। यहां तक कि मेरा पद भी अस्थाई हो गया….जब चुनाव चल रहा था तब मल्लिकार्जुन खड़गे ने टेलीवजन पर कहा कि अगर जरूरी हुआ तो मुझे बाहर कर दिया जाएगा, जिससे मैं अपसेट हो गया।’
‘मुझसे ही पार्टी नेताओं की बैठक बुलाने को कहा गया था’
उन्होंने आगे कहा, ‘पश्चिम बंगाल का चुनाव परिणाम भी पार्टी के लिए अच्छा नहीं रहा। चाहे मैं अस्थायी अध्यक्ष ही था, यह मेरी जिम्मेदारी थी। इसके बाद मैंने खड़गेजी से कहा कि अगर संभव हो तो मेरे बदले किसी और को बना सकते हैं….इसी दौरान एआईसीसी से मुझे पश्चिम बंगाल के कांग्रेस नेताओं की एक बैठक बुलाने को कहा गया, क्योंकि पार्टी दो प्रस्ताव पारित करना चाहती थी…..’

मैं तो यही समझ रहा था कि अध्यक्ष हूं- अधीर
उनके मुताबिक, ‘मैं तो यही समझ रहा था कि मेरी ही अध्यक्षता में बैठक बुलाई गई थी और मैं अभी भी पश्चिम बंगाल कांग्रेस का अध्यक्ष था, लेकिन इसी दौरान गुलाम नबी मीर ने (नेताओं के बीच) अचानक मुझे पूर्व अध्यक्ष कहना शुरू कर दिया। तब मुझे पता चला कि अब मैं (पश्चिम बंगाल कांग्रेस का) पूर्व अध्यक्ष बन चुका हूं।’