
लोकसभा चुनाव 2024 के छठे चरण के तहत जमशेदपुर संसदीय सीट पर शनिवार को शाम सात बजे तक 66.79 प्रतिशत मतदान हुआ. जबकि 2019 में 66.76 मतदान हुआ था. इस सीट पर खड़े 25 प्रत्याशियों की किस्मत इवीएम में कैद हो गयी.

चार जून मतगणना है. जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र में कुल 18.69 लाख वोटर हैं. मतदान समाप्ति के बाद भी जिले के कई मतदान केंद्रों पर 20-25 हजार मतदाताओं की कतार लगी हुई थी. उन्हें मतदान पर्ची प्रदान की गयी थी. बैलेट पेपर से हुई वोटिंग से भी एक प्रतिशत वोट बढ़ने का अनुमान जिला निर्वाचन शाखा ने लगाया है. जिले में सेक्टर मजिस्ट्रेट जॉन माझी की तबीयत बिगड़ने के कारण मौत होने की सूचना है. उनका पार्थिव शरीर टीएमएच में रखा गया है. जबकि घाटशिला में एक मतदाता की गर्मी लगने से निधन हो गयी. वहीं, चाकुलिया में एक मतदाता को हाथी ने कुचल दिया, जिससे उसकी मौत हो गयी. धालभूमगढ़ के एक मतदान केंद्र पर ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार किया, इसके बाद प्रशासन वहां किसी तरह एक वोट कराने में सफल रहा. गोलमुरी के रिफ्यूजी कॉलोनी और मानगो गुरुद्वारा रोड के एक पोलिंग बूथ पर झामुमो-भाजपा कार्यकर्ताओं की बीच झड़प हो गयी, जिसके बाद वहां पुलिस पहुंची और मामले को शांत कराया.

एक दर्जन से अधिक मतदान केंद्रों पर इवीएम में आयी बाधा
जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह उपायुक्त अनन्य मित्तल ने कहा कि पर्यवेक्षक की रिपोर्ट आने के बाद ही संबंधित बूथ पर अगली टिप्पणी कर पायेंगे. जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक मतदान केंद्रों पर इवीएम में बाधा आयी, जिन्हें बदल दिया गया. घाटशिला में एक सेक्टर मजिस्ट्रेट दो इवीएम लेकर अपनी गाड़ी में ट्रेवल कर रहा था, उसे गांववालों ने घेर लिया. शाम सात बजे से को-ऑपरेटिव कॉलेज में इवीएम पहुंचना शुरू हो गया था, जिनका देर रात 2 बजे तक आना जारी रहा. जिला निर्वाची पदाधिकारी ने बताया कि 92 पोलिंग पार्टी सुदूर देहात एरिया में हैं, जिन्हें रात में इवीएम लेकर चलने से मना कर दिया है. ये पार्टी रविवार को दोपहर तक जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज के स्ट्राॅन्ग रूम पहुंचेंगी.

लोकतंत्र के रंग में रंगा दिखा जमशेदपुर
जमशेदपुर : शनिवार को लोकतंत्र के रंग में पूरी तरह डूबा नजर आया. मतदान केंद्रों पर सुबह से लंबी-लंबी कतारें लगनी शुरू हो गयी थीं. इस महापर्व में बुजुर्ग, जवान, युवा और खासकर महिलाओं में काफी उत्साह देखने को मिला. मतदान की समाप्ति के बाद कैलकुलेशन का दौर भी शुरू हो गया, लोग एक-दूसरे को बधाइयां भी देने लगे.











