जमशेदपुर : जमशेदपुर के कदमा थाना अंतर्गत रंकिणी मंदिर के पीछे टाटा स्टील द्वारा अपने कर्मचारियों के लिए निर्मित ग्रीन एनक्लेव में हाई वोल्टेज ड्रामा देखने को मिला. 20 वर्षों के सुखी दांपत्य जीवन बिताने के बाद रिश्तो में आई दरार ने हिंसक रूप ले लिया. पूर्व में भी मणि भूषण तिवारी की पत्नी ने थाना सहित न्यायालय में अपने साथ हो रहे घरेलू हिंसा की शिकायत की है और यह मामले न्यायालय में विचाराधीन हैं. इस लौहनगरी में पहले भी रिश्तों का कत्ल होता आया है, जहां घर की दीवारें खून से लाल होती रही हैं. पत्नी शिक्षण कार्य कर जीवन यापन कर रही है.इस दंपति के दो बच्चे हैं. बेटा नाबालिग है. बच्चों की पढ़ाई लिखाई सहित सारी जिम्मेदारी पत्नी के जिम्में है.

टाटा स्टील कर्मचारी होते हुए भी और लगभग पौने दो लाख रुपए की तनख्वाह पाते हुए भी और साथ ही साथ दो निजी फ्लैटों के मालिक होकर उसका किराया उठाते हुए भी मणि भूषण तिवारी द्वारा बच्चों की परवरिश, शिक्षा सहित जीवन यापन के मूलभूत खर्चों के लिए भी एक पाई तक नहीं देना आश्चर्य पैदा करता है. मजबूरी में पत्नी ने आत्मनिर्भर होने और स्वालंबन की राह पकड़ी और शिक्षण कार्य में अपने आजीविका के अवसर तलाशे. पुरुष होने के अहंकार और अपना वर्चस्व रुपी आधिपत्य जमाने के प्रयास में यह हंसता खेलता परिवार खंडित होने की राह पर चल पड़ा. घरेलू हिंसा से शुरू हुई यह पटकथा थानों के चक्कर लगाते हुए न्यायालय के चौखट तक पहुंची.
रिश्तो में जब अलगाव की चिंगारी भड़की तो पत्नी ने न्यायालय में घरेलू हिंसा और गुजारा भत्ता का मामला दर्ज करवाया, परंतु पौरुष के दर्प से कुंठित होकर मणि भूषण तिवारी कुछ भाड़े के तथाकथित समाजसेविकाओं को कदमा थाने की मौन सहमति से लेकर फ्लैट पहुंचे और दिनदहाड़े फ्लैट के दरवाजे को हथौड़े से तोड़कर हिंसा के नियत से फ्लैट में प्रवेश कर गए. नाबालिग बेटे ने कदमा थाना में लिखित शिकायत की परंतु सिक्कों की खनक के आगे नाबालिक बच्चे की फरियाद पर कोई कार्यवाही नहीं की गई. टाटा स्टील के लिए भी शर्मिंदगी का विषय है कि ऐसे कर्मचारियों के ऐसी हरकतों के कारण उनकी प्रतिष्ठा भी धूमिल होती है. वर्तमान स्थिति में पूरा परिवार दहशत में है और अगर खूनी संघर्ष होता है या कोई अनहोनी होती है तो पूर्ण रूप से इसकी जिम्मेदारी कदमा थाना और जमशेदपुर जिला प्रशासन की होगी.